जोधपुर। देश की सीमाओं पर रक्षा में तैनात जवानों के साथ बेटियां भी आगे आ रही हैं, लेकिन इसके साथ ही राजस्थान की बहू बेटियां भी उनसे किसी तरह से कमतर नहीं होना चाहती हैं। इनमें से ही एक हैं प्रेरणा सिंह, जो राजस्थान की राजपूत बहू हैं। वे अपने गांव की पहली महिला हैं जो सेना में मेजर बनी हैं। प्रेरणा ने 2011 में सेना ज्वॉइन किया था और इसके 6 साल बाद उनको प्रमोट कर मेजर बनाया गया है।
एक बच्ची की मां भी हैं मेजर प्रेरणा -
जोधपुर में पैदा हुई प्रेरणा की शादी 4 साल पेशे से वकील मंधाता सिंह से हुई थी और उनकी एक 3 साल की बेटी प्रतिष्ठा भी है। फिलहाल मेजर प्रेरणा सिंह का परिवार जयपुर में रहता है। तकरीबन 6 साल पहले भारतीय सेना में शामिल होने वाली प्रेरणा मेरठ और जयपुर के बाद फिलहाल पुणे में पोस्टेड हैं। फिलहाल वे सेना के इंजीनियरिंग कोर का काम देख रही हैं।
ससुर भी बहू की कामयाबी से काफी खुश -
प्रेरणा के मेजर पद पर पदोन्नति से ससुर संपत भी काफी खुश हैं। उन्होंने बताया कि उनके गांव से प्रेरणा ऐसी पहली बहू है, जो भारतीय सेना में बतौर अफसर पोस्टेड हुई हैं। हमें उसपर गर्व है। वह हमारे लिए बेटी जैसी है।
घर में पहनतीं हैं पारंपरिक परिधान -

प्रेरणा घर में रहने के दौरान राजपूतों के पारंपरिक परिधान में रहना पसंद करती हैं। उन्हें इन परिधानों में देखकर कोई अंदाज भी नहीं लगा सकता कि वह एक फौजी अफसर हैं।
एक और राजस्थानी बहू बन चुकी हैं मेजर -

राजस्थान के ही पाली जिले के खोड़ा गांव की बहू नवीना शेखावत भी साल 2016 में मेजर बनाई गईं थीं। नवीना ने 2013 से 2015 तक सैन्य अधिकारी की ट्रेनिंग ली और उसके बाद वह भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनीं। लेह लद्दाख अंतर्राष्ट्रीय सीमा की रक्षा का भार नवीना के कंधों पर ही है। नवीना बताती हैं कि वह शुरू से ही आर्मी में जाना चाहती थी। उन्होंने जोधपुर के केएन कॉलेज से पढ़ाई की है और उसके बाद डिफेंस में स्नाकोत्तर किया है।
मेजर बनने से पहले नवीना नक्सल प्रभावित इलाके में 2 साल तक कार्यरत थीं। इस दौरान उन्होंने नक्सलियों के खिलाफ कई अभियान भी चलाए और उन्हें बखूबी अंजाम दिया। नवीना मेजर के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय शूटर भी हैं और वह राष्ट्रीय स्तर पर शूटिंग में अपना जलवा दिखा चुकी हैं। वह अपनी इस उपलब्धि को आर्मी में मिले अनुशासन और परिवार से मिले संस्कारों को समर्पित करती हैं। वह अपने घर में एक आम बहू की तरह ही रहती हैं और परंपरागत राजपूतानी पहनावा ही पसंद करती हैं, लेकिन वह सेना में यूनिफॉर्म पहनती हैं और हर मोर्चे पर खुद को पूर्ण रूप से साबित करती हैं।
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