*लेखक,कवि,गीतकार,साहित्यरत्न श्री युगराजजी जैन ने राजस्थान के विजोवा गांव में 108 जोड़ो का सर्व धर्म सामुहिक विवाह करवा कर रचा नया इतिहास*
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*अंधकारमय जीवन मे ज्यों*
*ज्ञान रश्मियां लाते है*
*गहन अंधेरे से निकालकर*
*ज्ञान उजाले लाते है*
*अज्ञानी मोही व्यथित प्राणी को*
*सुख धैर्य बंधाते है*
*शब्दो से गुलदस्ते बुन*
*कविवर हमारे कहलाते है*
*युगो युगो तक जिनकी मिसाल देगा जमाना,*
*युग आएगे युग जाएगे पर इन का ही नाम रह जाएगा ऐसे युवा कर्मठ युग दृष्टा युगपुरूष अंतरराष्ट्रीय कवि लेखक साहित्यकार आदि उपमाओ से सुसज्जित युग के महामना माननीय युगराजजी जैन बारे में जितना भी लिखे कम है ये वो व्यक्तित्व है जो इस लेख के पूरे होते होते समाज में फिर कोई नयी मिसाल कायम कर चुके होंगे* ।
*क्या लिखे, कैसे लिखे, कितना लिखे,........समझ के परे है शब्दों से परे है.........*फिर भी उनके द्वारा समाज हित मे किये गये कार्यो के अनुमोदना स्वरूप शब्द नही.....शब्दों का गुलदस्ता नहीं वरन ... या यूँ कहे कि फूल नही ने फूल री पाखडी अर्पित करने का प्रयास अपनी कलम के माध्यम से कर रहा हूँ ।*
*मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और कहते हैं समाज से मनुष्य और मनुष्य से ही समाज बनता है।लेकिन समाज के विकास में उत्थान में समाज के लोगो का क्या योगदान है यह बहुत कुछ उनके सहयोग पर निर्भर करता है*
*प्रत्येक व्यक्ति अपने समाज के विकास में योगदान देने हेतु तत्पर रहता है *लेकिन कोई अकेला व्यक्ति अपने संसाधनो से समाज मे विकास नही कर सकता या समाज में फैली कुरीतियो से अकेला नहीं लड़ सकता इस धारणा को संपूर्ण रूप से खोखला साबित किया है...........*
*एक एकल युग समान युग को बदलने वाले समाज की दशा और दिशा मे आमूल-चूल परिवर्तन लाने वाले प्रखर बुद्धिजीवी अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि लेखक अभिनेता कुशल मंच संचालक समाजसेवी मानवहितेच्छु पर दुखभंजन युगपुरूष साहित्यकार समाज रत्न श्रीमान युगराजजी जैन ने*.....
*जीहा मैं बात कर रहा हूँ* .......
*युगपुरूष महामना कविवर युगराजजी जैन की जिनके बारे मै लिखना, सूरज को रोशनी दिखाने जैसा है युगराजजी जैन एक ऐसी शख्सियत है जिनके बारे में जितना लिखा जाय कम ही होगा।*
*दी.18.4.18 अक्षय तृतीया के शुभ दिन राजस्थान के विजोवा गांव में करीबन 12000 हजार लोगों की उपस्थिति में मात्र 101 रुपये में सर्व धर्म सामुहिक विवाह करवा कर आपने एक नया इतिहास रचा।ऐसे गोडवाड़ रत्न की जितनी अनुमोदना की जाये उतनी कम है।*
*आज जब कलयुग में समाज मे नाना विध पाखण्ड और कुरीतियाँ मुह बाहे खडी हैं ऐसे समय मेअपनी रचनाओ अभिलेखन ,नाटक अभिनय फिल्म के द्वारा तो जन जागृति के प्रयास किये ही जा रहे है साथ ही स्व द्रव्य से कभी बुजुर्गो को निराधारो को हवाई यात्रा करवाना तो कभी फुलवारी संस्था के माध्यम से परिचय सम्मेलन का आयोजन करना*ये महामहना विराट विशाल हृदय व्यक्तित्व युगराजजी ही कर सकते है।*
*आज तक एक नेक संकल्प से जीने वाले सामाजिक एकता,सोहार्द के वाहक सामाजिक आडम्बरो के संहारक एवं संस्कृति और संस्कारोके रक्षक प्रसारक प्रचारक श्रीयुगराजजी जैन ने जो समाज मे जन जागृति एवं मानवता की अलख जगाई है उसके उत्तम परिणाम आज समाज के सामने है।*
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*गोडवाड के गौरव,सामाजिक समरसता के संवाहक,साहित्य शिरोमणी,नारी चेतना के सिरमौर,प्रखर समाजसेवी युगराजजी जैन जैसे विरले जैन समाज की धरोहर है,आपने सामाजिक सुधारो की पहल कर समाज मे जो क्रांति का शंखनाद किया है वो यकिनन आज नही तो कल अवश्य रंग लाऐगा।*
*श्री युगराजजी जैन ने नि:स्वार्थ भाव से समाजसेवा करके अपने जीवन को चरितार्थ किया है,आपकी सेवाओ व क्रान्तीकारी निर्णयो को समाज कभी बिसरा नही पाऐगा।*
*आज जब जगह जगह रेप और संप्रदायिकता का जहर फैल रहा है उसे रोकने में आपके द्वारा 36 कोम के सामूहिक विवाह कार्यक्रम इस चिनंगारी को बुझाने में मिल का पत्थर साबित हो सकता हैं ।*
*मै लिखता जा रहाहूँ किंतु युगराजजी जैन के सामाजिक और मानवता के कार्यो की फेरहिस्त इतनी लंबी है कि...क्या कहे....... हम और हमारी कलम आज इन महापुरूष के अनुमोदना रूपी पुष्प के शब्द बनकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे है।*
*आप हमेशा स्वस्थ रहे खुश रहे और इसी तरह परहित के पराक्रम के परचम लहराते हुए जिनशासन का नाम चारों दिशाओ में फैलाए।*।
*इस शुभ अवसर जैन फुलवारी की और से समाजसेवक श्री नरेशजी लोढा,मीरा-भायंदर भाजपा जिल्हा उपाध्यक्ष भरत एन. कोठारी,वर्षाजी राठौड़, संजयजी कांकरिया,विजोवा गांव की और से किरणजी बोराणा दोषी की और से युगराजजी और उनके पूरे परिवार का माला, शाल,तिलक और अभिनंदन पत्र देकर उनका बहुमान किया गया।*
*युग आते युग जाते रहे*
*पर कविवर युगराज जी*
*अपनी कविताओं और सुकृत्यों से*
*दुनिया मे परचम*लहराते रहे*
*आप खुश रहे मस्त रहे*
*जीवन मंगलमय रहे*
*अनुमोदना शब्द बहुत छोटा सा है फिर भी एक छोटा प्रयास किया है*
*खुब खुब आभार अनुमोदना सह बहुत बहुत बधाई*
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*-भरत एन. कोठारी*
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