मुंबई/ गोडवाड ज्योति: श्री घाटकोपर गोडवाड जैन संघ का 14वां स्नेह सम्मेलन श्रीमान मीठालालजी हिराचंदजी दोशी की अध्यक्षता में रमणीय श्री नाकोड़ा भैरव दर्शन धाम में अनेक सुनहरी यादों को संयोजित करते हुए संपन्न हुआ, जिसके लाभार्थी श्रीमान मीठालालजी हिराचंदजी दोशी परिवार थे| जिस तरह से सागर लहरियों के माधुर्य भरे संगीत को कोई भी गायक अपनी रागिनी में बांध नहीं सकता, निसर्ग की चित्रकला को कोई भी चित्रकार अपनी तुलिका से संवार नहीं सकता और गागर में सागर भरा नहीं जा सकता, उसी तरह श्री घाटकोपर गोडवाड जैन संघ के इस स्नेह सम्मेलन आयोजन को शब्दों से बांध पाना मुश्किल है|
एसी बसों द्वारा गन्तव्य स्थान पर पहुंचकर रात्रि विश्राम पश्चात संपूर्ण दिवस हेतु विविध कार्यक्रमों का समावेश किया गया था, जिसमें प्रातः भावा, भक्तामर स्त्रोत व बचपन की दुनिया, जिसमें भूले-बिसरे लट्टू, आँख-मिचौली, संतोलिया,पिरामिड, निशाना, जुहू रिंग, चम्मच-गोटी आदि मनोरंजक ग्रुप गेम्स का लुफ्त उठाया| तत्पश्चात सुंदर पंचकल्याणक पूजन में वरिष्ठ संगीतकार कविराज की प्रस्तुति ने प्रभु से साक्षात मिलन करवा दिया| दोपहर के भोजन पश्चात स्नेह सम्मलेन कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण से किया गया| तत्पश्चात संघ सचिव श्री पारसजी कोठारी ने मंच पर संघ अध्यक्ष श्री मीठालालजी दोशी,दिलीपजी मेहता, सागरमलजी राजावत, केवलजी सोलंकी आदि पदाधिकारी, अतिथिगण को आमंत्रित कर दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम को गति प्रदान करते हुए अध्यक्ष द्वारा स्वागत अभिभाषण व बहुमान तथा बुजुर्गो का बहुमान बड़े ही सुचारू रूप से उत्साहपूर्वक संपन्न करवाया| श्रीसंघ के कार्यक्रम के बाद सतरंगी ग्रुप द्वारा एक के बाद एक क्रमबद्ध सुंदर प्रस्तुति दी गई, जिसमें नवकार गीत पर सुंदर नृत्य, ओ माँ गीत, विख्यात लेखक श्री युगराजजी जैन द्वारा लिखित लघुनाटिका- मृत्युभोज: एक अभिशाप व नीलम मेहता द्वारा प्रार्थना सभा पर स्पीच ने सभा में उपस्थिति सभी लोगों को वर्तमान समय में इन रिवाजों में बदलाव लाने की प्रार्थना की| साथ ही जहाँ एक ओर माटी से जुड़े मिश्रित मारवाड़ी गीत ने समां दिया, वहीं नन्ही हिया भरत पावेशा के घुमर व प्रेम रतन धन पायो नृत्य ने सबका मन जीत लिया| इन सभी प्रस्तुतियों में नीलम, ज्योति, श्वेता, चंद्रा, पिस्ता, लता, शीतल,सानिका, हेतल, ममता, हिया आदि की श्रीसंघ ने कलाकारों के रूप में भूरी-भूरी प्रशंसा की एवं अनुमोदना करते हुए सभी का आभार प्रकट किया| कार्यक्रम का संचालन श्री पारस कोठारी व ज्योति श्रीपाल मुणोत ने किया| सम्मेलन की व्यवस्था आदि का संचालन संजयजी दोशी, श्रीपालजी मुणोत, जयंतीजी कोठारी, बाबूलालजी कांकरिया, विजयजी मुणोत, प्रवीणजी, पारसजी, जवेरमलजी बहुत ही व्यवस्थित रूप से किया| कार्यक्रम समापन व आभार प्रकट के बाद चौविहार, आरती व दादा की सुंदर भक्ति के बाद घर की ओर प्रस्थान किया|
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