हाउसिंग सोसायटिय़ों के लिए अलग कानून बनाया जाए - लोढ़ा
मेंटेनेंस फीस से जीएसटी हटाने व पुरानी इमारतों के लिए ३०० करोड़ के विशेष फंड की मांग
१३ मार्च, २०२० (शुक्रवार)
गोडवाड़ ज्योति/मुंबई। हाउसिंग सोसायटिय़ों के लिए सरकार को तुरंत अलग कानून बनाना चाहिए। क्योंकि शुगर क़ॉपरेटिव सोसायटिय़ों का कानून हाउसिंग सोसायटिय़ों पर भी लागू होने से लोगों को अपनी सोसायटी के लिए काम करने में काफी परेशानी हो रही है। विधानभा में यह मांग मुंबई भारतीय जनता पार्टी के विधायक मंगल प्रभात लोढ़ा ने की। उन्होंने हाउसिंग सोसायटी की मेंटेनेंस फीस से जीएसटी हटाने की मांग करते हुए सरकार से मुंबई की २० हजार से ज्यादा पुरानी इमारतों की रिपेरिंग के लिए ३०० करोड़ रुपए के स्पेशल फंड का प्रावधान भी करने की मांग की है। लोढ़ा ने सरकार से मुंबई के लाखों लोगों की इस मा्ंग पर तत्काल ध्यान देते हुए निर्णय लेने की भी मांग की।
विधानसभा में मुंबई के मामलों पर बोलते हुए भाजपा के वरिष्ठ विधायक लोढ़ा ने सरकार से कहा कि मुंबई में कुल एक लाख से भी ज्यादा हाउसिंग सोसायटियां है, जिनमें लोग अपने घर के रखरखाव और मरम्मत के लिए काम करते हैं। लेकिन इन हाउसिंग सोसाटियों पर भी शुगर क़ॉपरेटिव सोसायटी की तरह सजा का प्रावधान लागू करने से लोग डर के मारे अपने ही घर के रखरखाव के लिए भी हाउसिंग सोसायटियों में काम ही नहीं करना चाहते। इसलिए सरकार को शुगर क़ॉपरेटिव सोसायटी से अलग ऩॉर्मल कॉपरेटिव सोसायटियों के लिए पृथक कानून बनाना चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की कि हाउसिंग सोसायटी में रहनेवाले लोग अपने घर की मरम्मत के लिए जो मेंटेनेंस फीस भरते हैं, सरकार उस पर भी जीएसटी लगाती है। उन्होंने जीएसटी हटाने के लिए केंद्र सरकार के पार प्रस्ताव भेजने की भी सरकार से मांग की।
मुंबई की २० हजार से भी ज्यादा पुरानी इमारतों की जर्जर हालत का जिक्र करते हुए विधायक लोढा ने विधानसबा में सरकार से कहा कि इन इमारतों की हालत खाफी खराब है। क्योंकि इनकी रिपेरिंग लिमिट केवल ३०० रुपए प्रति वर्गफुट ही है, जबकि इतने से पैसे में तो इमारतों में कलर का काम भी नहीं हो पाता। उन्होंने मुंबई के विधायकों की तरफ से मांग का जिक्र करते हुए कहा कि यह लिमिट १० हजार रुपए करके मुंबई की जनता के साथ सरकार न्याय करे।
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