राजस्थान: कोरोना महामारी से अगर किसी के बच्चे अनाथ हुए तो यहां सूचना जरुर दें, मिलेगी पूरी सहायता
जयपुर: एक बार पुनः देश के सामने पहले से भी अधिक गम्भीर चुनौती बनकर कोरोना महामारी का संकट खड़ा हुआ है। हालांकि केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन और संस्थाए आदि भी अपनी ओर से भरपूर प्रयास कर रहे हैं कि किसी भी तरह से इस संकट से बचा जा सके, इससे उभरा जा सके ताकि लोगों पर कोरोना महामारी के कारण पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके, परंतु फिर भी इस महामारी पर नियंत्रण होता दिखाई नहीं दे रहा है। राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (Child Rights Protection Commission) की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कोविड-19 महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों (Orphaned Children ) की सूचना चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098, स्थानीय पुलिस, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण ईकाई या फिर सीधे बाल आयोग को उपलब्ध करवाने के लिए आमजन से अपील की है| संगीता बेनीवाल ने बताया कि कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चे भी देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की श्रेणी में आते हैं| राज्य सरकार की ओर से किशोर न्याय अधिनियम-2015 के तहत ऐसे बच्चों की गोपनीयता को संरक्षित रखते हुए उचित देखभाल एवं संरक्षणात्मक माहौल प्रदान करने की व्यवस्था की गई है| इन बच्चों की पहचान को गोपनीय रखना आवश्यक है| इनकी पहचान सोशल मिडिया या अन्य किसी माध्यम से उजागर नहीं की जानी चाहिए| इन बच्चों की पहचान को गोपनीय रखना आवश्यक है| इनकी पहचान सोशल मिडिया या अन्य किसी माध्यम से उजागर नहीं की जानी चाहिए| कोरोना महामारी के कारण अनाथ होने वाले बच्चों की देखरेख के लिये राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (Child Rights Protection Commission) आगे आया है| ऐसे बच्चों की सूचना आयोग तक जरुर पहुंचाये|
ज्ञात हो कि सोनू सूद ने भी सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करके केंद्र और राज्य सरकार से विनती की है कि वैश्वित महामारी कोविड-19 में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों का भविष्य सिक्योर किया जाए। सोनू ने कहा कि हम सभी को साथ में आकर उन लोगों की मदद करनी है, जिन्होंने महामारी में अपने खास लोगों को खोया है। वीडियो में सोनू सूद कहते हैं- ‘नमस्कार! मैं आज सरकार और उन लोगों से गुजारिश करना चाहता हूं जो मदद के लिए आगे आना चाहते हैं।। हमने देखा है कि इस कोरोना की लहर में बहुत से लोगों ने अपने कीमती सदस्यों को खोया है। बच्चों ने अपने माता-पिता खो दिए। किसी बच्चे ने अपनी मां खो दी और दो दिन बाद उनके पिता का निधन हो गया। कईयों के माता-पिता दोनों ही नहीं रहे और उनके बच्चे बहुत छोटे-छोटे हैं। कोई 10 साल के हैं कोई 12 या 8 साल के हैं। मैं हमेशा सोचता हूं इनके भविष्य का क्या होगा? मेरी केंद्र सरकार या राज्य सरकार से गुजारिश है कि एक नियम बनाया जाए, जिसमें कोरोना के दौरान जिन लोगों ने अपने परिवार वाले खोए हैं, उनके बच्चों की पढ़ाई स्कूल से लेकर कॉलेज तक फ्री की जाए। फिर चाहे वो सरकारी स्कूल में पढ़ें या प्राइवेट में। वह जो भी डिग्री लेना चाहे ले सकें। ताकि जिन बच्चों ने कोविड में अपने माता-पिता को खोया है उनका भविष्य सुरक्षित हो सके।’
वॉट्सअप नंबर पर भी सूचित कर सकते हैं
उन्होने आमजन व स्वयंसेवी संस्थाओं से अपील की है कि ऐसे बच्चे जो अनाथ हो गए और जिनकी देखभाल करने वाला कोई अन्य परिवारजन नहीं हो तो ऐसी स्थिति में तुरंत चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098, पुलिस, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण ईकाई अथवा बाल आयोग को वॉट्सअप नंबर 7733870243 पर सूचित करें ताकि इन बच्चों को उचित सुरक्षा व देखभाल प्रदान की जा सके|
पहचान को गोपनीय रखना आवश्यक
इन बच्चों की पहचान को गोपनीय रखना आवश्यक है| इनकी पहचान सोशल मिडिया या अन्य किसी माध्यम से उजागर नहीं की जानी चाहिए| इन बच्चों को गोद लेने के लिये बाल कल्याण समिति के माध्यम से उचित प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए| यदि कोई व्यक्ति इन बच्चों को खरीदता है तो इसमें किशोर न्याय अधिनियम-2015 की धारा 81 के अनुसार 5 साल की सजा और 1 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है|
वैक्सीनेशन अनिवार्य रूप से करवाने के भी आदेश
उन्होंने बताया कि आयोग की ओर से सभी जिलों की बाल संरक्षण इकाइयों और बाल अधिकारिता विभाग के अधिकारियों को कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों की सूचना प्रतिदिन बाल अधिकारिता विभाग तथा आयोग कार्यालय को उपलब्ध करवाने के लिये निर्देशित किया गया है| इसके साथ ही संगीता बेनीवाल ने बाल गृहों में रह रहे 18 वर्ष से अधिक उम्र के युवक-युवतियों और स्टाफ का वैक्सीनेशन अनिवार्य रूप से करवाने के भी आदेश दिए हैं| उन्होंने कहा कि हर बालगृह में थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर की उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिये|
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