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रतलाम 22 अक्टूबर 16 । साध्वीश्री तत्वलताश्रीजी म.सा. के सिद्धितप की पूर्णता पर उनके सांसारिक परिवार मोतीलालजी सूरजमलजी भटेवरा द्वारा शनिवार को करमदी तीर्थ में लोकसन्त, आचार्य, गच्छाधिपति श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में महोत्सव आयोजित किया गया। इसमें चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप परिवार ने साध्वीश्री के सांसारिक परिजनों का बहुमान किया। सिद्धीतप पूर्ण होने पर साध्वीश्री को पारणा करवाया गया, इससे पूर्व प्रवचनों में लोकसन्तश्री ने परमात्मा की भक्ति से कभी विमुख नहीं होने की प्रेरणा दी।
लोकसन्तश्री ने कहा कि परमात्मा हर समय हमारे साथ होते हैं, लेकिन हमें उनका एहसास तभी होता है, जब हम उन्हें पूर्ण रूप से समर्पित होते हैं। स्वार्थ भरे भावों से जब उन्हें कोई मानता हो तो उनकी कृपा भी इसी तरह बरसती है। सुख में हम उन्हें भुल जाते है और दुख में सदा उन्हें याद करते हैं। हमारे जीवन की हर सफलता के पीछे प्रभु कृपा ही श्रेष्ठतम कारण होता है, लेकिन अहम के कारण परमात्मा से दूर हो जाते हैं। अहम का मेल हमें निर्मल नहीं होने देता। इसलिए परमात्मा को पूर्ण समर्पित होने में ही जीवन की सार्थकता है। प्रारंभ में सामुहिक चैत्यवंदन किया गया। इससे पूर्व लोकसन्तश्री की निश्रा में श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर भोयरा बावड़ी से करमदी तीर्थ का संघ निकला। महोत्सव में चातुर्मास परिवार की ओर से श्री चेतन्य काश्यप एवं श्रीमती तेजकुंवरबाई काश्यप ने साध्वीश्री के सांसारिक परिजन मोतीलाल भटेवरा एवं श्रीमती शांताबेन भटेवरा का बहुमान किया। भटेवरा परिवार द्वारा रतलाम में लोकसन्तश्री का ऐतिहासिक चातुर्मास करने पर काश्यप परिवार का भी अभिनन्दन किया गया। इस मौके पर दो पुस्तकों जिनेन्द्र पुजा संग्रह व जयन्तसेन गीतांजलि का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन पंकज चौपड़ा ने किया।
मनुष्य जीवन को न माने सामान्य: मुनिराजश्री
मुनिराजश्री निपुणरत्नविजयजी म.सा. ने प्रवचन में कहा कि ज्ञानी उसे अंधा कहते है, जो आंख होते हुए भी किसी के गुण नहीं देखता। उसे मुर्ख कहते है, जो मानव जीवन प्राप्त करने के बाद भी धर्म आराधना नहीं करता। ज्ञानियों के वचनों को समझना चाहिए। इसके बाद ही मानव जीवन सार्थक होगा। मनुष्य जीवन ज्ञानियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण घटना है। इसे सामान्य मानने की भूल नहीं करें। मनुष्य के पास कुछ नहीं होता तो अभाव सा लगता है। कुछ मिल जाता है, तो भाव (अहंकार) बढ़ जाता है। सब कुछ ठीक होता है, तो परस्पर स्वभाव नहीं जमता है, इसलिए इन सब उलझनों से मुक्त होकर प्रभु की वाणी का प्रभाव जानना चाहिए। उन्होंने कहा जीवन की सफलता के लिए मनुष्य को कई कार्य करना पड़ते है, लेकिन हर कार्य के प्रयोजन भिन्न होते है। किसी कार्य में प्रयोजन मात्र स्वार्थ भरा होता है तो कोई कार्य परमार्थ से भरा होता है। हमारे लिए जो महत्वपूर्ण घटना होती है, वह ज्ञानियों के लिए सामान्य होती है और ज्ञानी जिसे महत्वपूर्ण मानते है उसे हम सामान्य मानते है। हमारा प्रयोजन भी शुद्ध नहीं होता। तीर्थो की स्पर्शना में भी मनुष्य वहां की सुविधा ही देखता है, जिससे वह यात्रा नहीं बनकर मात्र प्रवास बन जाता है। करमदी तीर्थ की स्पर्शना को सभी प्रवास के बजाए यात्रा का प्रयोजन बनाए।
जयन्तसेन धाम में होंगे कल प्रवचन
लोकसन्तश्री की निश्रा में 23 अक्टूबर को राजेन्द्र खाबिया परिवार द्वारा अनुश्री अभिषेक खाबिया व राजेश अनोखीलाल खाबिया की तप आराधना के उपलक्ष्य में चैत्य परिपाटी का आयोजन किया जाएगा। यह प्रातः 6 बजे नागरवास स्थित श्री खाबिया के निवास से प्रस्थान कर सागोद तीर्थ पहुॅंचेगी। सागोद मंे तीर्थ दर्शन व चैत्यवंदन के बाद चैत्य परिपाटी जयन्तसेन धाम में प्रवेश करेगी। प्रभु दर्शन के बाद प्रवचनों का आयोजन वहीं किया जाएगा।ब्रजेश बोहरा नागदा

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