
" भगवान सीमंधर स्वामी " " वर्तमान तीर्थंकर भगवान " हैं , जो हमारी जैसी ही दूसरी पृथ्वी पर विराजमान हैं ! उनकी पूजा का महत्व यह है कि उनकी पूजा करने से , उनके सामने झुकने से वे हमें शाश्वत - सुख का मार्ग दिखाएँगे और शाश्वत सुख प्राप्त करने का और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाएँगे !!!
" भगवान सीमंधर स्वामी " कहाँ पर है ?
महाविदेह क्षेत्र में कुल ३२ देश है , जिसमें से " भगवान श्री सीमंधर स्वामी " पुष्प कलावती देश की राजधानी " पुंडरिकगिरी " में हैं ! महाविदेह क्षेत्र हमारी पृथ्वी के उत्तर - पूर्व दिशा से लाखों मील की दूरी पर है !!
" सीमंधर स्वामी " का अधिक परिचय ...
" भगवान सीमंधर स्वामी " का " जन्म " , हमारी पृथ्वी के " सत्रहवें तीर्थंकर श्री कुंथुनाथ स्वामी " और " अठारहवें तीर्थंकर श्री अरहनाथ स्वामी " के जीवन काल के बीच में हुआ था ! " भगवान श्री सीमंधर स्वामी " के पिताजी " श्री श्रेयंस " पुंडरिकगिरी के राजा थे ! उनकी " माता " का नाम " सात्यकी " था !!
अत्यंत शुभ घड़ी में " माता सात्यकी " ने एक सुंदर और भव्य रूपवाले पुत्र को जन्म दिया , जन्म से ही बालक में मतिज्ञान , श्रुतज्ञान और अवधि ज्ञान थे !!
उनका शरीर लगभग १५०० फुट ऊँचा है , " राज कुमारी रुकमणी " को उनकी पत्नी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ! जब " भगवान राम " के पिता " राजा दशरथ " का राज्य हमारी पृथ्वी पर था , उस समय महाविदेह क्षेत्र में " भगवान सीमंधर स्वामी " ने दीक्षा अंगीकार करके संसार का त्याग किया था ! यह वही समय था , जब हमारी पृथ्वी पर " बीसवें तीर्थंकर श्री मुनीसुव्रत स्वामी " और " इक्कीसवें तीर्थंकर श्री नेमीनाथ " की उपस्थिति के बीच का समय था ! दीक्षा के समय उन्हें चौथा " ज्ञान - उद्भव " हुआ , जिसे " मनःपयार्य ज्ञान " कहते हैं ! एक हज़ार वर्ष तक के साधु जीवन , जिसके दौरान उनके सभी " ज्ञानावरणीय कर्मों " का नाश हुआ , उसके बाद भगवान को " केवळज्ञान " हुआ !!!
भगवान के " जगत कल्याण " के इस कार्य में सहायता के लिए उनके साथ " ८४ गणधर , १० लाख केवळी ( केवलज्ञान सहित ) , १० करोड़ साधु , १० करोड़ साध्वियाँ , ९०० करोड़ पुरुष और ९०० करोड़ विवाहित स्त्री - पुरुष ( श्रावक - श्राविकाएँ ) " हैं ! उनके रक्षक देव - देवी " श्री चांद्रायण यक्ष देव " और " श्री पाँचांगुली यक्षिणी देवी " हैं !!!
महाविदेह क्षेत्र में " भगवान सीमंधर स्वामी " और " अन्य उन्नीस तीर्थंकर " अपने " एक करोड़ अस्सी लाख " और " ४०० हज़ार साल का जीवन " पूर्ण करने के बाद में " मोक्ष " प्राप्ति करेंगे ! उसी क्षण इस पृथ्वी पर अगली चौबीसी के " नौवें तीर्थंकर श्री प्रोस्थिल स्वामी " भी उपस्थित होंगे और " आँठवें तीर्थंकर श्री उदंग स्वामी " का निर्वाण बस हुआ ही होगा !!!
" सीमंधर स्वामी " मेरे लिए किस प्रकार हितकारी हो सकते हैं ???
तीर्थंकर का अर्थ है , " पूर्ण चंद्र " ! ( जिन्हें आत्मा का संपूर्ण ज्ञान हो चुका है - केवलज्ञान ) तीर्थंकर " भगवान श्री सीमंधर स्वामी " महाविदेह क्षेत्र में हाज़िर हैं ! हमारी इस पृथ्वी ( भरतक्षेत्र ) पर पिछले " २४०० साल " से " तीर्थंकरों का जन्म " होना बंद हो चुका है ! वर्तमान काल के सभी तीर्थंकरों में से " सीमंधर स्वामी भगवान " हमारी पृथ्वी के सबसे नज़दीक हैं और उनका भरतक्षेत्र के जीवों के साथ " ऋणानुबंध " है !!!
" सीमंधर स्वामी भगवान " की उम्र अभी " १,५०,००० साल " है और वे अभी अगले " १,२५००० सालों " तक जीवित रहेंगे , अतः उनके प्रति भक्ति और समर्पण से हमारा अगला " जन्म महाविदेह क्षेत्र " में हो सकता है और " भगवान सीमंधर स्वामी " के दर्शन प्राप्त करके , हम " आत्यंतिक मोक्ष " की प्राप्ति कर सकते हैं !!!
" सीमंधर स्वामी " मुझे कैसे मदद रूप हो सकते हैं ?
" तीर्थंकर " का मतलब " पूर्णिमा का चंद्र ( शाश्वत व पूर्ण आत्मा का ज्ञान - केवळज्ञान ) " !! तीर्थंकर " श्री सीमंधर स्वामी " हाल में महाविदेह क्षेत्र में मौजूद है ! हमारी पृथ्वी पर , यानी भरत क्षेत्र में , पिछले करीब " २५०० वर्षों से तीर्थंकर का जन्म " नहीं हुआ ! हाल में मौजूद सभी तीर्थंकरों में से " सीमंधर स्वामी " हमारे सबसे नज़दीक है और उनका भरत क्षेत्र से " ऋणानुबंध " है और हमारे मोक्ष की उन्होंने ज़िम्मेदारी ली है !!!
" सीमंधर स्वामी " की आयु अभी डेढ़ लाख वर्ष की है और वे सवा लाख साल और जीनेवाले है ! उनकी आराधना करके , हम अगले भव में " महाविदेह क्षेत्र में जन्म " पाकर , उनके दर्शन करके " आत्यंतिक मोक्ष " पा सकते हैं !!!
" श्री सीमंधर स्वामीजी और 20 विहरमानजी का आज जन्म - कल्याणक "
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