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सिविल सर्विसेस एग्जाम-2017 में 23वीं रैंक पाने वाली तपस्या परिहार रविवार को मुखातिब थीं आईएएस एस्पाइरेंट्स से। नरसिंहपुर के एक छोटे से गांव में किसान परिवार की बेटी तपस्या ने अपनी लाइफ में आई परेशानियों, अपने अनुभव शेयर करते हुए युवाओं को प्रिपरेशन का सही तरीका बताया। सेंट्रल लाइब्रेरी में इस इवेंट का आयोजन किया था सिविल सर्विसेज क्लब ने, जहां तपस्या को सुनने के लिए 350 से ज्यादा स्टूडेंट्स मौजूद थे।

- तपस्या ने कहा- मैं कॉलेज के अदालती मामलों में निःशुल्क सलाह देने वाली एक विंग में काम करती थी। वहां मुझे लगा कि, यहां रहकर लोगों की केवल तब मदद कर पाऊंगी, जब वे मुसीबत में हों। क्यों न ऐसा काम किया जाए जिससे लोग मुसीबत में फंसे ही ना। फिर मेरे दिमाग में आईएएस बनने का ख्याल आया। कॉलेज की पढ़ाई के साथ आईएएस की प्रिपरेशन शुरू ना करें। इससे आप दोनों तरफ से लॉस उठाते हैं, न तो कॉलेज अच्छे से कर पाते हैं और न ही आईएएस की तैयारी।

आसपास बिखरा ज्ञान लेना भी जरूरी :
इस बार के प्रिलिम्स के पेपर को पूरे देश ने शॉकिंग कहा। लेकिन, मुझे लगता है कि इस बार का पेपर कम बुकिश लोगों के लिए था। जो सिर्फ किताबों पर ध्यान देते हैं, केवल वे एस्पिरेंट्स ही पेपर को टफ बोलते नजर आए। आस-पास बिखरा हुआ जीवन का ज्ञान भी लेना बेहद जरूरी है।

यू-ट्यूब सबसे बड़ा पॉल्यूशन : 
यू-ट्यूब सबसे बड़ा पॉल्यूशन है। स्टूडेंट्स को लगता है कि हर चीज की तैयारी के लिए इंटरनेट पर मटेरियल है। वो न्यूजपेपर नहीं पढ़ते, समझते हैं इंटरनेट पर ही सारी जानकारी मिल जाएगी, लेकिन इंटरनेट पर जो कुछ भी है, वह किसी व्यक्ति ने ही अपलोड किया है, जिसमें उसका परसेप्शन भी है। कोशिश कीजिए कि अापके और रिसोर्स के बीच में किसी को न आने दें।

4 जरूरी चीजें आईएएस की तैयारी के लिए

1 दृढ़ निश्चय
2 ईमानदारी
3 आनंद
4 धैर्य

तपस्या ने बताया, क्या करें और क्या नहीं
कोचिंग वेस्ट ऑफ टाइम, न ही दिल्ली जाना जरूरी :मैंने दिल्ली जाकर कोचिंग की थी, मेरा सेलेक्शन नहीं हुआ। आईएएस की प्रिपरेशन के लिए दिल्ली जाना जरूरी नहीं है। तैयारी आपको खुद करनी होगी, कोचिंग वेस्ट ऑफ टाइम है। कोचिंग चुनने को लेकर कन्फ्यूज न हों। बेहतर है कि आप एक ऐसा मेंटर ढूंढ़िए, जो आपको समझता हो और जिसके पास आपके लिए समय हो।

केवल किताबी पढ़ाई से काम नहीं चलेगा :मैंने अपने स्कूल में केवल किताबी पढ़ाई की, इस बात का मुझे सबसे ज्यादा अफसोस है। सिविल सर्विसेस में सफलता के लिए किताबी ज्ञान 10% से ज्यादा महत्व नहीं रखता। आईएएस का पूरा सिलेबस आपकी जिंदगी से गहरे तक जुड़ा हुआ है। इस सिलेबस को ज़िंदगी से जोड़कर देखेंगे तो दूसरे से बेहतर जवाब लिख पाएंगे।

अपनी स्ट्रेंथ पहचानें, किसी के कहने पर न जाएं : 12th तक मुझे पता नहीं था कि क्या करना है। घर वालों ने जेईई कोचिंग में एडमिशन दिला दिया। 4-5 दिन में समझ आ गया यह मेरे बस की बात नहीं। पापा के दोस्त ने सुझाव दिया कि वकालत कर लो। लेकिन CLAT नाम का एग्जाम देना होता है यह मुझे पता ही नहीं था। आपको यह तय नहीं करना चाहिए कि एक अटेम्प्ट देना है या दो, बल्कि यह सुनिश्चित करो कि आपको आईएएस बनना है या नहीं।


पढ़ाई के साथ एक्सपोजर और स्किल्स डेवलप करें :ग्रेजुएशन करने पुणे पहुंची, तब समझ आया कि आखिर बाहर की दुनिया कितनी अलग है। मैंने पढ़ाई के साथ अपने एक्सपोजर और स्किल्स को बेहतर करने की खूब कोशिश की। सही मायने में, कॉलेज में हुई ग्रूमिंग ने मुझे IAS बनने में सबसे ज्यादा मदद की। आईएएस का सिलेबस इतना बड़ा है कि बोर होना तय है। कभी भी एग्जाम के लिए नहीं, बल्कि दुनिया को जानने के लिए पढ़ो, पढ़ाई को एन्जॉय करो।

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