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 ➤ कोरोना से बुजुर्गों को है सबसे ज्यादा खतरा
➤ संक्रमण से कई बुजुर्गों में असुरक्षा का भाव
   ➤ लेकिन डर से कई दूसरी बीमारियों का खतरा

मुंबई: कोरोना का खतरा बुजुर्गों को सबसे ज्यादा है। संक्रमण का सबसे तेज असर इन्हीं पर हो रहा है और मरने वालों की संख्या भी उन्हीं में सबसे ज्यादा है। दरअसल, जो बुजुर्ग बीमार हैं, उनको कोरोना का खतरा ज्यादा होता है, इसीलिए उनको अपना ज्यादा खयाल रखने एवं अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है। भारत में 10.6 करोड़ वरिष्ठ नागरिक हैं, जिनमें से 6.5 करोड़ ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, एवं 4.1 करोड़ शहरों में रहते हैं। मुंबई में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या देश के किसी भी शहर के मुकाबले सबसे ज्यादा है। दूरदराज के क्षेत्रों के गरीब बुजुर्गों को सामाजिक वजहों और जागरूकता की कमी के कारण वायरस संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा है लेकिन उतना ही खतरा मुंबई में भी है, क्योंकि यहां घर छोटे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन आसान नहीं है। देश में कोरोना से मरने वालों में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगी की संख्या 35 फीसदी से ज्यादा बताई जा रही है।

बुजुर्गों को वायरस से सबसे ज्यादा खतरा है लेकिन इसके कारण उनकी रातों की नींद नहीं उड़नी चाहिए क्योंकि इससे उनको नई बीमारियां का खतरा हो सकता है। जो व्यक्ति पहले से ही मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप जैसी किसी न किसी बीमारी से पीडि़त है या जो कैंसर से उबरकर आए हैं, उनको आगंतुकों से भी नहीं मिलना चाहिए और अपने शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति को बनाए रखने के लिए दवाओं की खुराक लेते रहना चाहिए। अगर किसी में भी फ्लू जैसे लक्षण दिखें तो उन्हें लेकर अस्पताल जाएं और उनके लिए सर्दी या फ्लू का जोखिम भी नहीं उठाएं। उनकी चिंताओं को दूर रखने के लिए भी मनोवैज्ञानिक समर्थन देकर उन्हें मजबूत बनाएं।

आने वाले कुछ ही दिनों में कोरोना के डर की वजह से बुजुर्गों में, जितनी शारीरिक देखभाल के जितना ही मानसिक व सामाजिक संबल भी आवश्यक एवं महत्वपूर्ण हो जाएगा। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या रोजाना एक लाख के आसपास तक पहुंच रही है। इनमें से 35 फीसदी लोग बुजुर्ग हैं, सो 60 साल से ऊपर के लोग खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। शहरों में सारी सुविधाओं के बावजूद बुजुर्ग स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं लेकिन सोचिए, अगर दूरदराज के गांवों में जब बुजुर्गों को यह बीमारी फैल रही होगी तो उन्हें ये सारी अत्याधुनिक सुविधाएं भी नहीं मिल सकेगी। फिर, चूंकि वे बूढ़े हैं और गरीब भी हैं इसलिए उनकी अनदेखी किए जाने का भी डर होता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ऐसे लोग जिनकी आयु 60 वर्ष से ऊपर है या जिन्हें पहले से ही कोई बीमारी है, उन्हें कोरोना के संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा होता है। अब तक के आंकड़ों के मुताबिक संक्रमित बुजुर्ग व्यक्तियों की मृत्यु दर भी भारत में बहुत ज्यादा है। भारत सरकार की पहल पर एम्स नई दिल्ली ने वरिष्ठ नागरिको को, जो डायबिटीज, हाईपरटेंशन, क्रॉनिक ह्दय, लीवर, किडनी, कैंसर, फेफड़ों, सीओपीडी या अन्य किसी बीमारी से पीड़ित हैं, ऐसे लोगों के लिए एडवाइजारी जारी करके उन्हें सलाह दी गई है कि वे संक्रमित होने से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानिया बरतें। संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा अब बुजुर्गों में दिख रहा है क्योंकि माना जा रहा है कि बीते छह महीनों से लगातार घर में बैठे रहने से उनकी शारीरिक शक्ति क्षीण होती जा रही है। ऐसे में बुजुर्गों की प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण शरीर कमजोर पड़ जाता है जिससे इम्यून सिस्टम पर वायरस अटैक की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।


मत-अभिमत:


भारत में युवा वर्ग के मुकाबले बुजुर्ग सबसे ज्यादा संक्रमित हैं। बुजुर्गों की आबादी के लिहाज से यह आंकड़ा कोई डराता नहीं है लेकिन जिनको कोराना का संक्रमण होता है, उनकी हालत कितनी खतरनाक होती है, यह उनका मन ही जानता है।

इंदरभाई राणावत / समाजसेवी

कोरोना संक्रमण के दिनों दिन बढ़ते आंकड़ों ने सभी के लिए परेशानी खड़ी कर दी है, जिसको देखते हर कोई परेशान है। लेकिन घर में बड़े बुजुर्गों का खयाल रखने की खबरें शुरू से ही आती रही हैं क्योंकि उन पर इसका सीधा ज्यादा असर हो रहा है।

कुमुद कछारा / सामाजिक कार्यकर्ता

कोरोना से हुई मौतों पर एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें 60 साल से अधिक उम्र के 46 फीसदी बुजुर्गों की मौत होने की जानकारी सामने आई है। कोरोना महामारी के इस संकटकाल में हम सबको अपने घर के बुजुर्गों का बहुत खयाल रखना चाहिए।

उषा मुणोत / सामाजिक कार्यकर्ता

डॉक्टर्स का तर्क है कि बुजुर्गों के शरीर में अन्य बीमारियां व कमजोरी पहले से ही होने के कारण उनके शरीर में कोरोना का संक्रमण बहुत जल्दी फैलता है और वे संक्रमित भी ज्यादा हो रहे है। ऐसे में परिवार के बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।

मदन सुंदेशा/ व्यवसायी

कोरोना को लेकर सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन की ओर से लगभग 75 हजार लोगों पर अध्ययन किया गया। इसकी रिपोर्ट में पता चला है कि संक्रमण के शिकार 60 वर्ष की उम्र से ज्यादा के लोगों पर इसका सीधा हमला होता देखा गया है।

डॉ. नील मेहता/ चिकित्सक

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