राजस्थानी संस्कृति और हस्तशिल्प दुनिया की पसंद- प्रविता कटारिया
राजस्थान देश का एक ऐसा प्रान्त है, जो अपनी ऐतिहासिक परंपरा, कला, संस्कृति एवं उत्कृष्ट हस्तशिल्प के लिए जग प्रसिद्ध है| राजस्थानी कला एवं संस्कृति की समूचे विश्व में एक अलग पहचान है। राजस्थान की हस्तशिल्प कला का इतिहास बहुत प्राचीन है। यहाँ के राजा-महाराजा आज भी कला और संस्कृति के लिए अपने प्रेम के लिए जाने जाते हैं| प्राचीन काल में पत्थर से हथियार, मिट्टी के बर्तन, पकाई मिट्टी के खिलौने, हाथीदांत की वस्तुएँ, मकान की ईंटे, तांबे की कुल्हाड़ियाँ आदि बनाई जाती रही है। राजस्थान राज्य की इन्ही कला, संस्कृति और हस्तशिल्प के उत्पादों को अपने ऑनलाइन बिज़नेस से विश्व के विभिन्न भागो में पहुंचाने के लिए कार्यरत पुणे की श्रीमती प्रविता कटारिया से हमने उनके बिज़नेस मॉडल को जानने के लिए उनका विशेष साक्षात्कार लिया| प्रविता कटारिया ने सुखाड़िया यूनिवर्सिटी, उदयपुर से बिज़नेस डेवेलपमेंट में एमकॉम किया है और पिछले 16 वर्षो से पुणे में रह रही है। उनके पति श्री नितेश कटारिया, ऑटो कॉम्पोनेन्ट बनाने वाली कंपनी में मार्केटिंग प्रोफेशनल है। बड़ी बेटी प्राक्षी पुणे से एमबीए कर रही है और संस्कृति के बिजनेस में सोशल मीडिया मार्केटिंग का काम देख रही है और छोटी बेटी प्रिशा कक्षा 11 में पढ़ रही है। प्रविता कटारिया फाउंडेशन की महिला विंग की सदस्या है और समाज के विकास के लिए किए जाने वाले कार्यों में सदैव अग्रणी रहती है|
@ : आपने अपने बिज़नेस संस्कृति ऑब्जेक्ट्स डी आर्ट की शुरुवात कब और कैसे की ?
प्रविता: संस्कृति ऑब्जेक्ट्स डी'आर्ट की शुरुआत बहुत ही छोटे रूप में देश की राजधानी दिल्ली में हुई थी| मैं मूलतः राजस्थान के प्रतापगढ़ से हूँ और यह जगह अपने थेवा कला आभूषणों के लिए विश्व विख्यात है| थेवा 400 वर्ष पुरानी एक ऐसी कला है, जिसमे कांच के ऊपर 23 कैरट सोने का बहुत बारीक काम किया जाता है| यह कला प्रतापगढ़ के कुछ राजसोनी परिवारों तक ही सिमित है और इस कला के कारीगरों को 9 बार राष्ट्रपति से पुरुस्कार भी प्राप्त हुआ है| शादी के बाद दिल्ली में रहने का अवसर मिला और इसी दौरान 2002 में थेवा शिल्पी श्री जगदीशजी राजसोनी, राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम से राष्ट्रीय पुरुस्कार को प्राप्त करने के लिए दिल्ली आये और उनसे मुलाक़ात हुई| उन्होंने थेवा कला के आभूषणों को दिल्ली में मार्केटिंग करने की सलाह दी| इसी प्रक्रिया में करीब 10000/- के थेवा आभूषण ख़रीदे और अपनी पहचान के साथियो को दिखाए| अद्भुत और अद्वितीय कलाकारी होने के कारण आभूषणों को बहुत पसंद किया गया और न केवल सारे आभूषण बिक गए बल्कि 25 सेट्स के आर्डर की बुकिंग भी हो गयी और आगे यही सिलसिला चलता रहा| शुरुवाती सालो में प्रदर्शनी और ई-मेल मार्केटिंग के जरिये अपने उत्पादों की बिक्री की गयी और पुणे में आने के बाद 2013 में ऑनलाइन वेबसाइट http://www.sanskriitiexports.com लांच की गयी|
@ : आपके ऑनलाइन बिज़नेस में और कौन- कौन से हस्तशिल्प के प्रोडक्ट्स शामिल है?
प्रविता: थेवा ज्वेलरी में हमने मार्केट की आवश्यकता के अनुसार कुछ नए प्रयोग किये| परंपरागत डिज़ाइन में फ्यूज़न करके नयी डिज़ाइन्स को बाजार में लाया गया, जिसे युवा वर्ग ने बहुत पसंद किया| कई नए रंगो का भी इस्तेमाल किया गया, जिससे थेवा ज्वेलरी की लोकप्रियता में बहुत वृद्धि हुई| थेवा ज्वेलरी के बाद में हमने राजस्थान की ही मीनाकारी ज्वेलरी को पेश किया और उसको भी मार्केट में बहुत लोकप्रियता मिली| कुछ समय के पश्चात हमने मार्बल, जेमस्टोन, लकड़ी और मेटल हस्तशिल्प के उत्पादों की ऑनलाइन वेबसाइट के द्वारा बिक्री शुरू की| आज हमारी प्रोडक्ट रेंज में करीब 200 हस्तशिल्प उत्पाद उपलब्ध है और वेडिंग गिफ्ट्स, होम डेकॉर, कॉर्पोरेट गिफ्ट्स की एक विस्तृत श्रृंखला है| राजस्थान के हस्तशिल्प के उत्पादों को विश्व स्तर पर उपलब्ध कराने के साथ ही हम हस्तशिल्प कारीगरों के लिए भी रोज़गार के नए अवसर उपलब्ध करवा रहे है|
@ : भविष्य में अपने बिज़नेस के विस्तार की क्या योजनायें है?
प्रविता: हम शीघ्र ही फ्रैंचाइज़ी मॉडल के ज़रिये अपने बिज़नेस का विस्तार करने की प्रक्रिया में है| इस दिशा में पहला फ्रैंचाइज़ी सेटअप पुणे से अगस्त से शुरू किया जायेगा| पुणे और पिंपरी चिंचवड़ बहुत बड़ा मार्केट है और कला और संस्कृति के चाहने वाले ग्राहकों की संख्या भी बहुत बड़ी है| कोरोना के कारण उपजी नई परिस्थितियों को देखते हुए हमने रिटेल आउटलेट की जगह ऑनलाइन बिज़नेस को ही प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है| फ्रैंचाइज़ी नेटवर्क को मज़बूत करने के लिए हमने अपनी मार्केटिंग टीम का भी गठन किया है| पुणे के बाद हम बैंगलोर और मुंबई में विस्तार करेंगे| कुछ ग्लोबल इन्वेस्टर्स ने भी हमारे बिज़नेस में पूंजी निवेश करने की पेशकश की है और उनसे बातचीत चल रही है| हमारा उद्देश्य राजस्थान के हस्तशिल्प को एक उचित दाम पर विश्व के ग्राहकों तक पहुँचाना है और हम उसके लिए कटिबद्ध है|
@ : हस्तशिल्प सेक्टर के लिए आपकी सरकार से क्या अपेक्षाएं है?
प्रविता: आज देश में खेती के बाद हस्तशिल्प ही सबसे ज्यादा रोज़गार देने वाला सेक्टर है| लगभग 2.5 करोड़ लोग प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से इस सेक्टर से जुड़े है| हस्तशिल्प सेक्टर में असीम सम्भावनाये है और यदि सरकार उचित ध्यान दे तो यह सेक्टर ऊचाइंया छु सकता है| ऑनलाइन बिज़नेस से एक्सपोर्ट मार्केट को बढ़ाया जा सकता है| नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन जैसे संस्थानों और प्राइवेट-पब्लिक की भागीदारी से इस सेक्टर को नयी दिशा मिल सकती है|
(एक मुलाकात : ज्योती मुणोत)
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