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सरपंचगवरीदेवी मेघवाल के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चुनाव लड़ने के मामले में जिला न्यायालय पाली में पेश चुनाव याचिका पर 24 नवंबर को विशेष आदेश से सुमेरपुर न्यायालय द्वारा सुनवाई की गई। जिसमें सुमेरपुर न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश वैभवकुमार टेलर ने गवरीदेवी का सरपंच ग्राम पंचायत सांडेराव के पद पर निर्वाचन 2 फरवरी 2015 को शून्य घोषित करने का फैसला सुनाया। आदेश की प्रतिलिपि जिला निर्वाचन अधिकारी पंचायत विभाग पाली को भेजने के आदेश दिए। गौरतलब है कि सांडेराव निवासी सोनल प|ी प्रवीणकुमार खटीक ने 26 फरवरी, 2015 को एक चुनाव याचिका जिला न्यायालय पाली में पेश कर बताया कि वर्ष 2015 में सरपंच पद के लिए हुए चुनाव में 8वीं पास की शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य थी। इस चुनाव में वह स्वयं भी सरपंच पद के लिए खड़ी थी। चुनाव में उसे 1151 तथा गवरीदेवी प|ी टीकमाराम मेघवाल को 1836 मत मिले थे। प्रार्थना पत्र में बताया था कि गवरीदेवी ने 8वीं की फर्जी अंक तालिका के आधार पर चुनाव लड़ा है। इसको लेकर सांडेराव पुलिस थाने में मामला भी दर्ज किया गया था, मामले की जांच तत्कालीन थानाधिकारी अमराराम मीणा द्वारा लंबी जांच के बाद गवरीदेवी को गिरफ्तार कर सुमेरपुर न्यायालय मे पेश किया गया था, जहां से उसे जोधपुर जेल में भेजा गया था। इस मामले में चार दिनों बाद गवरीदेवी को जमानत मिली तथा पिछले करीब तीन साल से चल रही जांच के बाद 24 नवंबर, 2017 को मामले की सुनवाई करते हुए सुमेरपुर न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश वैभवकुमार टेलर ने गवरीदेवी का सरपंच ग्राम पंचायत सांडेराव के पद पर निर्वाचन 2 फरवरी 2015 को शून्य घोषित करने का आदेश देते हुए गवरीदेवी को फर्जी साबित किया।





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