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नाकोडा मे पो दशमी मेला 11 दिसम्बर को
लेखक --सी एल जैन "पीयूष" 

विश्व  के पर्यटक मानचित्र पर तेजी से उभरते पश्चिम राजस्थान के जोधपुर संभाग के बाड़मेर जिला मुख्यालय से 125 कि मी दूर और बालोतरा से 12 की मी दूर चारो और सुन्दर पहाडियों से घिरे नाकोडा तीर्थ में प्राचीन और भव्य कलात्मक मंदिरों के समूह में मुख्य मंदिर में मुलनायक भगवान पारसनाथ की प्रतिमा स्थापित है।

पहले जहा पीले संगमरमर की जैसलमेरी मूर्ति थी,जो भगवान महावीर की स्थापित थी पर फिर भूगर्भ से श्यामवरण भगवान पारसनाथ की प्रतिमा निकली तो उसे मुलनायक के रूप में प्रत्तिष्टत  किया गया।

उसी के निकट द़ाई और प्रकट प्रभावी,महाचमत्कारी,डमरूवाले बाबा श्री भैरवनाथजी की मुह बोलती प्रतिमा के दर्शन कर भक्त अपने आप को दोबारा आने को रोक नहीं पाते।

इस प्रतिमा के नेत्रों की और जब श्रधा से अभिभूत भक्त की द्रष्टि जाती है तो ऐसा लगता मानो उनमे एक गुरुत्वाकर्षण बल की ताकत सी हो। वो बोलती आँखे और उनके ओठो की स्मित रेखा कह रही हो मनो सब कुछ मंगल ही मंगल होगा।सब कुछ शुभ ही शुभ होगा।

मूल मंदिर के पश्चिम में थोडा ऊपर भगवान आदिनाथ का मंदिर है,जो स्थापत्य कला की द्रष्टि से सबसे सुन्दर है,यहाँ आने पर ऐसा लगता है की उनके आशीर्वाद की छाया में सब कल्याण ही होगा,दुःख,शोक,या अभाव का ताप जेसे नष्ट हो जाता है।

असीम श्रद्दा एव भक्ति के साथ मांगी गई हर मन्नत पूरी करने वाले बाबा श्री भैरवनाथ के दरबार से कोई खाली नहीं लोटता है। मंदिर  के आहते की मुख्य पोल में घुसने पर मुलमंदिर के पूर्व ही बाई और भगवान श्री शांतिनाथ  का आकर्षक मनोहारी मंदिर है इसकी प्रतिमा भी अपने आप में एक अनुठी  विलक्षणता लिए हुए है यह एक हसती-खिलती प्रशन मूद्रा में है,जिसके चरण में जाते ही शांति का अनुभव होता है।

इस तीर्थ में प्रातः कालीन सूर्य जहा स्फूर्ति,चेतना,और राग का सन्देश देता है तो अस्त होता सूर्य विराग का,शांति का,संतोष का,और मंजिल तक पहुचने की त्रप्ति और निश्चितता का स्वर धीरे-धीरे कानो के पास गुनगुनाने लगता है।

श्रदालुओ की हर वर्ष बढती संख्या को ध्यान में रखते हुवे बेहतर सुविधाऐ  उपलब्ध कराने के लिये ट्रस्ट मंडल द्वारा अत्याधुनिक सुविधाओ भोजनशाला का हाल  ही में निर्माण किया गया है,जिसमे एक साथ हजार आदमी भोजन कर सकता है,भोजनशाला  के बाहर ही एक आकर्षक झुला लगाया गया है जो बचों के लिए आकर्षक बना हुवा है,आज तीर्थ में सभी तरह की सुविधाए है जिसमे बिजली,पानी,पुस्तकालय,दवाखाना,डाकघर,रोडवेज बस की सुविधा की उपलब्ध है।

यह तीर्थ  भारत भर के मुख्य सभी शहरो से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सीधा जुड़ा हुवा है,मुंबई,कल्याण,सूरत,अहमदाबाद,जयपुर,जोधपुर,पाली,बाड़मेर,माउंट-आबू,बैंगलोर,चेनई,फलना,श्री महावीरजी आदि जगहों से रेल सेवा उपलब्ध है,रेल द्वारा नाकोडा जी  पहुचने के लिए जोधपुर,या बालोतरा  आना पड़ता है जहा से हर समय रिक्शा,टेक्सी,बस,आदि की सुविधाए हर समय उपलब्ध है,

हर वर्ष पौष वदि दशमी को लगने वाले वार्षिक मेले में जैनी ही नहीं अजैनी भी श्रधा भाव से हिस्सा लेते है तथा मन वांछित फल पाते है इस वर्ष यह मेला  11/12/2017 को भरेगा

तीर्थ परिसर को आकर्षक रोशनी से सजाया जाता है,जेसे हम स्वर्ग में दिन के उजाले में बेट्ठे है,मेले में दुकाने,धार्मिक सामग्री की दुकाने,खाने-पिने के स्टाल,आदि लगाये जाते है।

सम्पूर्ण सुविधायुक्त मेला भारी सुरक्षा के साथ बीच सुरु होता है,यहाँ राजस्थान पुलिस के आलावा  तीर्थ के खुद के सुरक्षा कर्मचारी भी मोजूद रहते है।

पौस वदि दसमी को सुबह भगवान श्री पार्श्वनाथ का रथ पर भव्य वरघोडा निकाला जाता है।एव रात्रि को ट्रस्ट मंडल द्वारा साल भर का बजट प्रस्तुत किया जाता जाता है जो सकल संघ द्वारा पास किया जाता है।

 श्री नाकोडा भेरीजी सभी भक्तो की हर मनोकामना पूरी करे इसी भावना के साथ ..

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