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पाली। पाली की पंचायती जग जाहिर होने के साथ ही अब राजनेतिक गलीहारों में नजर आ रहीं है। जहां पर एक आयुक्त की कुर्सी को लेकर एक साल में पांच चहरे बदल गए। जिसका मुख्य कारण पाली की पंचायती में घुलना नहीं था। हाल ही में स्थानान्तरण हुए इन्द्र सिंह राठौड़ ने फिर से कोर्ट की शरण लेकर पाली नगर परिषद आयुक्त पदभार ग्रहण किया। अब नगर परिषद में एक राज्य सरकार के निर्देश पर आसुतोष आचार्य पदभार ग्रहण किए हुए है। तो दूसरी ओर एक माह बाद हाई कोर्ट से स्थगन आदेश लेकर आए राठौड़ भी आयुक्त पद पर ही रहेंगे।

मंगलवार को सवेरे राठौड़ ने कोर्ट के आदेशों के तहत जब अपना पदभार ग्रहण करने से पहुंचे तो पहले से मौजूद सभी कर्मचारियों ने उनका उत्साह के साथ स्वागत किया इसके बाद राठौड़ अपना पदभार ग्रहण कर जोधपुर चले गए, जो फिर से शाम को परिषद पहुंचे ओर अपने कार्य में जूट गए। तो दूसरी ओर रोज की तरह आयुक्त आसुतोष आचार्य भी परिषद जाकर कलक्ट्रेट की बैठक में हिस्सा लेकर आॅफिस पहुंचे जहां उन्होंने भी फाइलों पर साइन कर अपना कार्य किया। परिषद में एक कुर्सी पर दो आयुक्त होने पर चर्चाओं का दोर इतना गर्म था की पेंडिग मामले को लेकर अब संसय बना हुआ है।

वहीं राजनेतिक गलीहारों में भी इसकी खलबली जोरों पर है। जानकारी के अनुसार आयुक्त इन्द्रसिंह राठौड़ का 6 नवम्बर को पाली से वैर स्थानान्तरण कर दिया गया था। जबकी राठौड़ के सेवानिवृति के कुछ साल ही बाकी रहे है। राठौड़ को पांच मई को पाली आयुक्त पद पर लगाया गया था। कुर्सी सम्भालते ही शिविरों में पटट्ा प्रकरणों में कार्मिकों के साथ उनके बीच में हल्की नाराजगी भी रहीं। तो दूसरी ओर ठेकेदारों पर भी मनमाना नियम लगाने पर, जिस पर ठेकेदारों ने तो खुल कर आयुक्त का विरोध किया था। जहां उन्हें यहां से हटाने का भी उच्चे नेताओं ने आश्वस्त किया था। 156 दिनों के बाद राठौड़ को यहां से हटना पड़ा। उनके स्थान पर सादड़ी नगरपालिका के अधिसांशी अधिकारी आशुतोष आचार्य को यहां लगाया गया था।

राठौड़ ने अपने कार्य के दोरान शीथीलता करने वाले कार्मिकों को भी नोटिस थमाया है। वहीं जनप्रतिनिधियों के आपसी तालमेल के अभाव का मुख्य कारण रहा। एक साल में पांच आयुक्त का बदलना जिला मुख्यालय पर बड़़ी चर्चा का विषय जहां पर राजनेताओं के अनुरूप कार्य नहीं करने का परिणाम है। यहां तक की आरएस अधिकारी सुमित्रा पारख भी इन्ही राजनेतिक गलीहारों की भेट चढ़ चुकी है। दूसरी ओर अधिकारियों एवं राजनेतिक लड़ाई से आम लोगों का कार्य पिछड़ रहा है। जिसके कारण उन्हें अब फिर से इधर से उधर भटकना पड़ सकता है। यदि इसी तहर परिषद के हालात रहे तो जिस तहर परिषद अपने को उभारने की कोशिश करना चाहता है वह कोशिश नाकाम हो सकती है। तो दूसरी ओर आयुक्त आशुतोष आचार्य का कहना है कि वे भी अपने पद पर कार्यरत रहेंगे, क्योंकि राज्य सरकार के आदेश अनुसार उन्होंने पदभार ग्रहण किया है। वहीं आयुक्त इन्द्र सिंह राठौड़ का कहना है की उन्होंने भी कोर्ट के आदेश की पालना की है।

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