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चेन्नै स्थित इंटिग्रेल कोच फैक्ट्री(आईसीएफ) इन दिनों रेलवे का चेहरा बदलने वाले प्रयोग हो रहे हैं। हाल ही में देश की नई ईएमयू एसी ट्रेन मुंबई में चली, जिसे आईसीएफ में बनाया गया था। अब आईसीएफ में लंबी दूरी के लिए सेमी हाई स्पीड श्रेणी को ध्यान में रखते हुए ट्रेन सेट तैयार किया जा रहा है। लोकल ट्रेनों की तरह दिखने वाली ट्रेन से में लोकोमोटिव यानी इंजन के बजाय मोटर कोच होगा। ये मोटर कोच ट्रेन के साथ ही जुड़ा रहेगा यानी इंजन बदलने और शंटिंग के झंझट से निजात मिलेगी।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी रवींद्र भाकर ने कहा, 'देश में सेमी हाई स्पीड ट्रेनों को बढ़ावा देने के लिए ट्रेन सेट को पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत तैयार किया जा रहा है। आईसीएफ इसे तैयार कर रही है। भारतीय रेलवे के लिए ट्रेन सेट तकनीक एक क्रांतिकारी कदम साबित होगी।'

160 किमी/घंटा से दौड़ेगी ट्रेन
देशभर में अब हाई स्पीड, सेमी हाई स्पीड और नई टेक्नॉलजी पर काम चल रहा है। हाई स्पीड के लिए पहले से ही बुलेट ट्रेन परियोजना पर काम शुरू हो चुका है, जबकि सेमी हाई स्पीड के लिए 160 किमी/घंटा निर्धारित किया गया है। इसके अंतर्गत ट्रेन सेट पर काम किया जा रहा है। यह ट्रेन अन्य मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के मुकाबले वजन में काफी हल्की होती है। लोकल ट्रेनों की तरह ट्रेन सेट कुछ ही सेकेंड्स में गति पकड़ने और नियंत्रित करने में सक्षम है। गौरतलब है कि पूर्व रेलमंत्री के कार्यकाल में दिल्ली-मुंबई से बीच सेमी हाई स्पीड टेल्गो ट्रेन का परीक्षण किया गया था। वह योजना आगे नहीं बढ़ सकी, लेकिन अब 'मेक इन इंडिया' योजना के तहत ट्रेन सेट तैयार किया जा रहा है।

ट्रेन सेट का मुंबई कनेक्शन
आईसीएफ से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि जुलाई 2018 तक पहला ट्रेन सेट तैयार हो जाएगा। इस वातानुकूलित ट्रेन सेट में शयनयान नहीं होगा, केवल सीटें होंगी। पहले ट्रेन सेट के बाद दूसरा ट्रेन सेट विदेशी तकनीक के सहारे तैयार किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार दूसरे सेट के लिए निविदाएं भी निकाली जा चुकी हैं। अधिकारी की माने, तो दूसरा ट्रेन सेट मुंबई को मिलने वाला है और अहमदाबाद-मुंबई के बीच चलाया जाएगा। गौरतलब है कि अगले साल आठ राज्यों में चुनाव होने हैं। पहले ट्रेन सेट को उन्हीं में से किसी एक राज्य में हरी झंडी दिखाई जा सकती है। एक अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर यात्रा के दौरान इलेक्ट्रिकल से लोकोमोटिव बदलने में काफी वक्त जाया हो जाता है। ट्रेन सेट को दोनों दिशा में चलाया जा सकता है और लोकोमोटिव बदलने का झंझट भी नहीं, जिससे वक्त की बचत होगी।

बनेगा ग्रीन फील्ड टर्मिनस
पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक ए.के.गुप्ता ने बताया कि बोइसर के आस-पास ग्रीन फील्ड टर्मिनस बनाने पर विचार हो रहा है। ग्रीन फील्ड टर्मिनस का मतलब है कम ऊर्जा की खपत कर ट्रेनों का रखरखाव करना। इस तरह के टर्मिनस में ट्रेन सेट जैसे रेक का रखरखाव होगा। ट्रेन सेट की खासियत ही यही है कि कम ऊर्जा का दोहन, गति और सुरक्षित। सामान्य मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में WAP-5 और WAG-7 में 5500 अश्व शक्ति के वाले इंजन होते हैं, इनकी ऊर्जा खपत ट्रेन सेट या ईएमयू के मुकाबले ज्यादा होती है। मौजूदा राजधानी, शताब्दी और अगस्तक्रांति ट्रेन भी 160 किमी प्रति घंटा स्पीड पकड़ने में सक्षम है, लेकिन इसके लिए ऊर्जा का व्यय अधिक होता है।

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