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जोधपुर. आरएएस भर्ती-2013 में शामिल हुई जोधपुर की रेखा शेखावत के उसके दिए गए सवालों के जवाब पर आत्मविश्वास ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा की अधिकारी बनने की राह तय कर दी। परीक्षा परिणाम आने पर वह अपने आप को मेरिट नहीं देख निराश जरूर थी, लेकिन मैथ्स के पेपर में नंबर कम आने पर यकीन नहीं था। करीब डेढ़ साल तक उसने सूचना का अधिकार और राजस्थान हाईकोर्ट के माध्यम से संघर्ष किया। नतीजा- उसे आरएएस परीक्षा में सफल घोषित किया गया और इंटरव्यू के बाद अब नियुक्ति के लिए अनुशंसा होने जा रही है।

- राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय, माता का थान में साइंस की ग्रेड-2 शिक्षिका रेखा मई 2016 में आरएएस मुख्य परीक्षा परिणाम में पास नहीं हो सकी थी। उसे मैथ्स में 100 से ज्यादा अंक मिलने का विश्वास था। उसने सूचना का अधिकार के तहत आरपीएससी में अपनी कॉपी देखने के लिए आवेदन किया।

- कॉपी देखी तो मैथ्स में रीजनिंग के एक सवाल पर उसे नंबर ही नहीं दिए गए थे, जबकि उसने सही उत्तर लिखा था। विषय विशेषज्ञों ने भी इसकी पुष्टि की। इस पर रेखा ने आरपीएससी की इस गलती को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी।

इंटरव्यू के लिए फोन आया तो लगा सपना पूरा हुआ: रेखा

- कोर्ट ने रेखा की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा, कि कॉपी जांची जाए, वह मेरिट में आती है तो पद सृजित कर नियुक्ति दी जाए, हुआ भी ऐसा ही। आरपीएससी ने कॉपी जांची तो रेखा के 20 नंबर जुड़ गए और वह मेरिट में आ गई।

- रेखा बताती है, कि उसे 22 नवंबर को जब आरपीएससी से इंटरव्यू के लिए फोन आया तो लगा उसका सपना सच हो गया। पूरी तैयारी के साथ 29 नवंबर को इंटरव्यू दिया और अब उसके आरएएस अफसर बनने में बस कुछ समय की देरी है।



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