
एक साधारण महिला जिन्होंने गांव को एक नई दिशा देने का बीड़ा उठाया है. उनमें महिला सशक्तिकरण की बातों हिलौरे मारती है, यही परिणाम है, जिससे उन्होंने आज बतौर सरपंच गांव को नई दिशा और अलग पहचान दिलवाई. गांव की महिला सरपंच एवन कंवर ने फैशन डिजाइनिंग में अपने कॅरियर को छोड़ कर गांव की स्थिति सुधारने की राह चुनी और अब पिछले दो वर्षो में गांव की जो तस्वीर बदली वह दूसरों के लिए नजीर है।
इस पंचायत की खासियत ये है यहां की बहू ही सरपंच हैं, अंग्रेजी में एक कहावत है अगर आप एक पुरुष को पढ़ाते हैं तो आप एक व्यक्ति को पढ़ाते हैं. अगर अपनी बेटी को पढ़ाते हैं तो पूरे परिवार को पढ़ाते हैं, और अगर गांव का सरपंच पढ़ा-लिखा है तो वो पूरी पंचायत को जागरूक करता है.
सरपंच बनी और गांव में कई विकास कार्य करवाए

खास बात यह है कि 41 माह की अपना वेतन भी बालिका शिक्षा में खर्च कर दिया।
एवन कंवर ने फैशन डिजाइनर के प्रोफेशन को छोड़ अपने गांव के लोगों की सेवा करने की ठान ली। 2015 के पंचायत चुनाव में सरपंच बनी। बतौर सरपंच हर रोज सुबह गांव के लोगों की समस्या सुनना और उसका हाथों हाथ निस्तारण करना उनके रोजमर्रा का काम हो गया। गांव के विकास के साथ-साथ बालिका शिक्षा पर भी जोर दिया। अब गांव में जिस दिन बच्ची का जन्म होगा, उस दिन उसके परिवार वालों को दो माह की सैलरी उसके लालन-पालन के लिए दी जाएगी। सरपंच ने अपने पूरे कार्य काल की लगभग 41 माह के वेतन की राशि बालिकाओं की स्कूल ड्रेस, पाठ्य सामग्री एवं खेल सामग्री के लिए दे दी। इतना ही नहीं, गांव में एक लड़की जिसके पिताजी का देहांत हो गया था। उसकी शादी के लिए सरपंच ने 51 हजार का सहयोग भी दिया।
आजादी के बाद पहली बार घरों में पहुंचाया पानी

ग्राम पंचायत केरली में रामाजी गुड़ा और टोकरला दो राजस्व गांव शामिल है। आजादी के बाद से ही इन गांवों में पेय जल की किल्लत एक नासूर सी बन गई थी। गांव की महिलाएं हर रोज एक किलो मीटर तक का रास्ता तय कर अपने घरों में पानी लाती थी। इस समस्या को लेकर सरपंच ने भी गंभीरता दिखाई और गांव के निकट ही एक नया कुआं खुदवाया और रामाजी गुड़ा गांव के सभी घरों में पानी के कनेक्शन करवाए। उनके इन्हीं प्रयासों से वे आज पाली ही नही बल्कि राज्य के दूसरे गांवों के लोगों के लिए भी रोल मॉडल हैं। साथ ही सरपंच के रूप में एवन कंवर की आज गांव वाले ही नहीं बल्कि अन्य गांवों के लोग भी सराहना करते है ।
बता दे राजस्थान देश के उन चुनिंदा राज्यों में है जहां पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण मिला हुआ है। इसके साथ ही राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था में शिक्षा की अनिवार्यता भी लागू है। इस कारण से हाल के सालों में राजस्थान की पंचायती राज प्रणाली में महिलाओं की स्थिति पहले से बेहतर हुई है। जिसका प्रभाव पंचायती राज व्यवस्था में जिला प्रमुख से लेकर ग्राम सरपंच के पदों तक पड़ा है। राजस्थान में पंचायती राज में महिलाओं को दिए गए 50 फीसदी आरक्षण का सबसे सीधा लाभ उनको यह मिला है कि उनकी भागीदारी पुरुषों के मुकाबले में ज्यादा हो गई है। इसका सीधा कारण यह है कि महिलाएं अपने लिए आरक्षित सीटों के अलावा सामान्य सीटों से भी बड़ी संख्या में चुनी जा रही हैं।
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