
उदयपुर/ गोडवाड ज्योती: पूरे मेवाड़ के लिए ये काफी गर्व की बात है। कई लोग इस बात से रूबरू होंगे लेकिन जिन लोगों को इस बारे में नहीं पता उन्हें बता दिया जाए कि विश्व की सबसे बड़ी शिवजी की मूर्ति अब मेवाड़ में बनने जा रही है। उदयपुर से 48 किमी की दूरी पर मौजूद नाथद्वारा नगर में यह मूर्ति बनने जा रही है। नाथद्वारा पहले ही श्रीनाथजी के मंदिर के लिए पुरे भारत में काफी मशहूर है और अब इस मूर्ति के कारण यह पुरे विश्व में मशहूर हो जाएगा। उदयपुर से नाथद्वारा जाने के लिए करीब 1 घंटा लगता है। नाथद्वारा में यह मूर्ति श्रीनाथजी मंदिर, 120 रोड पर बनेगी। मूर्ति की नींव का पत्थर पूज्य मुरारी बापू द्वारा किया गया था और वहां राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मौजूद थे।
नाथद्वारा नगर उदयपुर से 48 किमी की दूरी पर बसा एक छोटा सा नगर है। नाथद्वारा का मतलब ही है श्रीनाथजी का द्वार। असल में नाथद्वारा का यह नाम इसलिए है क्योंकि यहाँ एक बहुत ही मशहूर कृष्णा भगवान् का मंदिर है जिसमे श्रीनाथजी की मूर्ति विराजमान की हुई है। यह मंदिर 17 शताब्दी में बना था और इसकी जगह श्रीनाथजी के कहने पर ही तय हुई थी। जब भगवान श्री कृष्ण की इस मूर्ति को मुग़ल के शासक औरंगज़ेब से बचाने के लिए वृन्दावन से ले जाया जा रहा था, तब ही रास्ते में वह बैलगाड़ी कीचड़ में फंस गई। तभी साथ में चल रहे पंडितों को यह अहसास हुआ कि भगवान ने अपने मंदिर के लिए खुद यही जगह तय की है।
विश्व की सबसे बड़ी शिवजी की इस मूर्ति का निर्माण मूर्तिकार नरेश कर रहे है। नरेश की तीन पीढ़िया मूर्ति बनाने के कार्य से जुडी हुई है। मूर्तिकार नरेश राजस्थान के पिलानी में रहते थे लेकिन अब वो गुरुग्राम में रहते है। उनका कहना है कि शिवजी की मूर्ति बनाने में कुछ ऐसी तकनीक का इस्तेमाल हुआ है, जैसा अमेरिका की सबसे मशहूर मूर्ति ‘स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी’ में हुआ था। नरेश ने इससे पहले विश्व की सबसे ऊंची हनुमानजी की मूर्ति भी बनायी है।
मूर्ति की विशेषता
विश्व की यह सबसे बड़ी मूर्ति की कुल लम्बाई 351 फीट है।
मूर्ति में शिवजी के चेहरे की कुल लम्बाई 70 फीट होगी।
भगवान् शिवजी की मूर्ति में शिवजी के हाथो में एक त्रिशूल भी है, जिसकी कुल लम्बाई 315 फीट है।
इस मूर्ति में शिवजी दूसरी मूर्तियों की तरह सामान्य रूप से आशीर्वाद देते हुए एवं त्रिशूल पकड़ते हुए नहीं बल्कि आराम से बैठे हुए नज़र आएँगे।
इसकी संरचना तैयार हो चुकी है और अब प्रतिमा का काम चालु होगा।
इस विशालकाय मूर्ति का निर्माण मिराज कंपनी करवा रही है।
बैठे हुए इन महादेवजी की मूर्ती को कोई भी कम से कम 5-7 किमी दूर से देख सकेगा।
दूर-दूर से आये दर्शको के दर्शन की आसानी के लिए इस मूर्ती पर 74 फीट की ऊंचाई वाली 2 लिफ्ट लगेगी।
यह लिफ्ट महादेवजी के कंठ तक पहुंचेगी।
इस मूर्ति को तैयार करने का लक्ष्य 1 दिसंबर 2018 तक का है।
6 लाख 74 हज़ार स्क्वायर फीट में बनेगी, जिसमे प्रतिमा का कुल एरिया 27 हज़ार स्क्वायर फीट होगा।
इसके आस-पास 15400 स्क्वायर फीट एरिया में हर्बल गार्डन बनाया जाएगा, जहाँ बच्चो के लिए झूले बनेंगे ओर बड़ो के आराम करने के लिए गार्डन बनाया जाएगा।
3 कीमी लम्बी परिक्रमा मूर्ति के आस-पास बनेगी, उन लोगो के लिए जो जॉगिंग करना चाहते है।
पार्किंग सुविधाएँ यहाँ उपलब्ध होगी।
इस विशाल मूर्ति के निर्माण में करीब 2200 टन स्टील और 1800 टन लोहा लगेगा और इसमें RCC सीमेंट का इस्तेमाल होगा।
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