उल्लेखनीय है कि छोड़ा से आना गांव करीब तीन-चार किमी दूरी पर स्थित है। ऐसे में इन दोनों गांवों को जोड़ने वाला मार्ग भी कच्चा है। जबकि इस कच्चे मार्ग से दोनों बांधों का ओवरफ्लो का पानी गुजरता है। बरसात का मौसम शुरू होते ही इन दोनों गांवों के ग्रामीणों की समस्या उत्पन्न हो जाती है। क्योंकि ग्राम पंचायत दूदापुरा के क्षेत्र में स्थित काणा व छोड़ा बांध के ओवरफ्लो हो जाते हैं। वहीं छोड़ा और आना गांव के मुख्य मार्ग पर स्थित प्राकृतिक बरसाती नाले में बहना शुरू हो जाता है। ऐसे में दोनों गांवों का संपर्क एक-दूसरे से टूट जाता है। क्योंकि दोनों बांधों का ओवरफ्लो पानी तेज गति से बहता है। जबकि दोनों स्थानों पर पुलिया नहीं होने ऐसे डेढ़ से दो माह तक पानी नाले में बहने से इस मार्ग पर आवागमन पूरी तरह से बंद हो जाता है। जिसका असर छोड़ा गांव से पढ़ने के लिए आना गांव जाने वाले विद्यार्थियों पर पड़ता है। ऐसे में जिंदगी दांव पर लगाकर वह ट्रैक्टरों पर बैठकर दूसरे छोर पर जाते हैं। यह सिलसिला दो माह तक चलता रहता है। ऐसे में दूदापुरा सरपंच संपतदास वैष्णव ने इस गंभीर समस्या को बाली विधायक पुष्पेंद्रसिंह राणावत के समक्ष रखी। जिन्होंने बरसाती नाले पर पुलिया निर्माण को लेकर विधायक कोष से 8 लाख की राशि स्वीकृत जारी कर दी। जिसके बाद ग्राम पंचायत दुदापुरा ने फरवरी माह में बरसाती नाले पर पुलिया का निर्माण कार्य शुरू कर दिया। जिसका निर्माण कार्य लगभग पूरा होने को है,जिसके कारण इस बार बरसात के मौसम में दोनों गांवों के ग्रामीणों की वर्षों पुरानी समस्या का स्थाई समाधान हो जाएगा। साथ ही बरसात के मौसम में दोनों गांवों का संपर्क भी नहीं टूट पाएगा।
दूदापुरा ग्राम पंचायत के छोड़ा से आना जाने वाले मार्ग पर बना है पुलिया
देसूरी | छोड़ा एवं आना गांव बीच बरसाती नाले पर निर्माणाधीन पुलिया। फोटो|भास्कर
बरसात के मौसम में दोनों गांवों का टूट जाता है संपर्क
छोड़ा से आना गांव जाने वाला मुख्य रास्ता है। जो वर्षों से कच्चा रास्ता बना हुआ है। इसी रास्ते पर प्राकृतिक बरसाती नाला मौजूद है। बरसात के मौसम में इस नाले में पानी की आवक अधिक होने से दोनों गांवों का संपर्क टूट जाता है। जिसके कारण दोनों गांवों के ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
दो बांधों का ओवरफ्लो का पानी इस रास्ते से गुजरता है
काणा बांध व छोड़ा बांध के ओवरफ्लो के बाद आना व छोड़ा गांव का संपर्क एक से दो माह के लिए टूट जाता है। क्योंकि दोनों बांधों के ओवरफ्लो का पानी इस कच्चे रास्ते से गुजरता है। ऐसे में ओवरफ्लो पानी के अंदर होकर जाना संभव नहीं है। क्योंकि दोनों ओवरफ्लो के स्थान पर पुलिया नहीं है। ऐसे में जिंदगी दाव पर लगाकर छात्र छोड़ा से आना गांव जाते हैं।
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