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मुंबई/ गोडवाड ज्योती: प.पु. खरतरगच्छाधिपति आचार्यश्री जिनमणिप्रभ सूरीश्वरजी म.सा. की आज्ञानुवर्तिनी गच्छगणिनी पार्श्वमणि तीर्थ प्रेरिका प.पु. साध्वीश्री सुलोचनाश्रीजी म.सा. एवं तपोरत्ना प.पु. सुलक्षणाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा-11 की पावन निश्रा में अलौकिक अर्हत अन्ताक्षरी प्रतियोगिता का आयोजन कपोलवाडी में किया गया, जिसके लाभार्थी श्री भेरूमलजी मदनलालजी मालु कानासर वाले थे| इस अन्ताक्षरी प्रतियोगिता में विजेता चयन हेतु निर्णायक की भूमिका श्रीमती ज्योतिजी मुणोत ने बखूबी निभाई तथा कार्यक्रम का संपूर्ण संचालन प.पु. सुंदर शैली में समझाते हुए साध्वीश्री प्रियश्रेयांसनाश्रीजी ने किया|

इस अर्हत अन्ताक्षरी में मुंबई महानगर के 12 मंडलों ने हिस्सा लिया, जिसमें विविध प्रकार के क्रमानुसार राउंड पार करते हुए खरतरगच्छ महिला परिषद ने विजयी होकर प्रथम स्थान प्राप्त किया| वहीं मरुवामा महिला मंडल द्वितीय तथा ऋषभ भक्ति मंडल तृतीय स्थान पर रहे| मुंबई खरतरगच्छ संघ द्वारा विजेता मंडलो सहित निर्णायक व सभी मंडलों का स्मृतिचिन्ह व पदक से सम्मानित किया गया| सबका कहना था कि ऐसा भव्यातिभव्य कार्यक्रम खरतरगच्छ में पहली बार हुआ है|

इस अवसर पर साध्वीश्रीजी ने कहा संगीत में बहुत ताकत होती है और अगर संगीत के साथ भक्ति जुड़ जाये तो भव पार होना निश्चित है| आप सबको पता होगा कि एक बार अष्टापद मंदिर में रानी मंदोदरी बड़े भक्ति भाव से नाच रही थी और राजा रावण वीणा बजा रहे थे। अचानक वीणा का एक तार टूट जाता है और रावण नहीं चाहते थे कि मंदोदरी के इस दिव्य नृत्य में बाधा आए। उन्होंने अपनी जांघ से एक नस निकाली ताकि वीणा बजती रहे, जिसके फलस्वरूप उनके तीर्थंकर प्रकृतिबंध हुआ। साथ ही निर्णायक श्रीमती मुणोत ने कहा कि गीत-संगीत ईश्वर से प्राप्त ऐसा तोहफा है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने मनोभावों को बहुत ही सहजता से प्रकट कर सकता है। इसके माध्यम से परमात्मा का सामीप्य ज्यादा निकट अनुभव होता है। धार्मिक संगीत असल में परमात्मा के साथ जुड़ने का एक बहुत ही बेशकीमती साधन है। कार्यक्रम समापन पर श्री चंपालालजी वाघेला ने सभी का आभार प्रकट किया|







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