*विश्व प्रसिद्ध जैन नाकोड़ा तीर्थ में पार्श्वनाथ जन्मोत्सव का पौ दसमी मेला 31 दिसम्बर को*
*नाकोड़ा से (चम्पालाल छाजेड पत्रकार सूरत )*
विश्व के पर्यटक मानचित्र पर तेजी से उभरते पश्चिम राजस्थान के जोधपुर संभाग के बाड़मेर जिला मुख्यालय से 125 कि मी दूर और बालोतरा से 12 की मी दूर चारो और सुन्दर पहाडियों से घिरे नाकोडा तीर्थ में प्राचीन और भव्य कलात्मक मंदिरों के समूह में मुख्य मंदिर में मुलनायक भगवान पारसनाथ की प्रतिमा स्थापित है।पहले जहा पीले संगमरमर की जैसलमेरी मूर्ति थी,जो भगवान महावीर की स्थापित थी पर फिर भूगर्भ से श्यामवरण भगवान पारसनाथ की प्रतिमा निकली तो उसे मुलनायक के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।उसी के निकट द़ाई और प्रकट प्रभावी,महाचमत्कारी,डमरूवाले बाबा श्री भैरवनाथजी की मुह बोलती प्रतिमा के दर्शन कर भक्त अपने आप को दोबारा आने को रोक नहीं पाते।इस प्रतिमा के नेत्रों की और जब श्रधा से अभिभूत भक्त की द्रष्टि जाती है तो ऐसा लगता मानो उनमे एक गुरुत्वाकर्षण बल की ताकत सी हो। वो बोलती आँखे और उनके ओठो की स्मित रेखा कह रही हो मनो सब कुछ मंगल ही मंगल होगा।सब शुभ ही शुभ ही होगा।
देश मे जहा जहा मारवाड़ी रहता है वहा वहा जिन मन्दिर के साथ साथ भैरूजी की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठित होती है मारवाड़ी भाषा मे इन्हें भोला भेरू भी कहते है।
मूल मंदिर के पश्चिम में थोडा ऊपर भगवान आदिनाथ का मंदिर है,जो स्थापत्य कला की द्रष्टि से सबसे सुन्दर है,यहाँ आने पर ऐसा लगता है की उनके आशीर्वाद की छाया में सब कल्याण ही होगा,दुःख,शोक,या अभाव का ताप जेसे नष्ट हो जाता है,असीम श्रद्दा एव भक्ति के साथ मांगी गई हर मन्नत पूरी करने वाले बाबा श्री भैरवनाथ के दरबार से कोई खाली नहीं लोटता है। मंदिर के आहते की मुख्य पोल में घुसने पर मुलमंदिर के पूर्व ही बाई और भगवान श्री शांतिनाथ का आकर्षक मनोहारी मंदिर है इसकी प्रतिमा भी अपने आप में एक अनुठी विलक्षणता लिए हुए है यह एक हसती-खिलती प्रशन मूद्रा में है,जिसके चरण में जाते ही शांति का अनुभव होता है।इस तीर्थ में प्रातः कालीन सूर्य जहा स्फूर्ति,चेतना,और राग का सन्देश देता है तो अस्त होता सूर्य विराग का,शांति का,संतोष का,और मंजिल तक पहुचने की तृप्ति और निश्चितता का स्वर धीरे-धीरे कानो के पास गुनगुनाने लगता है।मुख्य द्वार के बाहर समोशरण मंदिर श्रद्धालुओ के आकर्षक का केंद्र बना हुवा है, उसके पास ही छोटी पहाड़ी पर दादावाड़ी है जहाँ साक्षत संकट मोचन,दुख हरने वाले दादा गुरुदेव श्री कुशलसुरी जी विताजमान है। विरजमान है।
पास में शानदार बगीचा बनाया गया है उसके सामने ही पूजा सामग्री,जैन बुक,जैन सीडी,जैन उपकरण आदि की दुकानें बनी हुई है। श्रदालुओ की हर वर्ष बढती संख्या को ध्यान में रखते हुवे बेहतर सुविधाऐ उपलब्ध कराने के लिये ट्रस्ट मंडल द्वारा अत्याधुनिक सुविधाओ युक्त कई बड़े बड़े वर्तनुकूल भवनों,फ्लैट्स,कमरों का निर्माण करवाया है एव जारी भी है,एव आधुनिक भोजनशाला के बड़े हाल का निर्माण किया गया है,जिसमे हजारो आदमी एक साथ भोजन कर सकते है,भोजनशाला के बाहर ही एक आकर्षक झुला लगाया गया है जो बचों के लिए आकर्षक बना हुवा है,आज तीर्थ में सभी तरह की सुविधाए है जिसमे बिजली,पानी,पुस्तकालय,दवाखाना,डाकघर,रोडवेज बस की सुविधा की उपलब्ध है,यह तीर्थ भारत भर के मुख्य सभी बड़े शहरो से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सीधा जुड़ा हुवा है,मुंबई,कल्याण,सूरत,अहमदाबाद,जयपुर,जोधपुर,पाली,बाड़मेर,माउंट-आबू,बैंगलोर,चेनई,फ़ालना,श्री महावीरजी आदि जगहों से रेल सेवा उपलब्ध है,रेल द्वारा नाकोडा जी पहुचने के लिए जोधपुर,या बालोतरा स्टेशन आना पड़ता है जहा से हर समय रिक्शा,टेक्सी,बस,आदि की सुविधाए उपलब्ध है,हर वर्ष पौष वदि दशमी को लगने वाले वार्षिक मेले में जैनी ही नहीं अजैनी भी श्रधा भाव से हिस्सा लेते है तथा मन वांछित फल पाते है।
इस वर्ष यह मेला साल के अंतिम दिन 31/12/2018 को भरेगा।तीर्थ परिसर को आकर्षक रोशनी से सजाया जाता है,जेसे हम स्वर्ग में दिन के उजाले में बेट्ठे है,मेले में दुकाने,धार्मिक सामग्री की दुकाने,खाने-पिने के स्टाल,आदि लगाये जाते है,सामाजिक संस्थाओं द्वारा लागत मूल्य पर चाय,नाश्ता उपलब्ध करवाया जाता है।
सम्पूर्ण सुविधायुक्त तीन दिवसीय मेला भारी सुरक्षा के साथ बीच सुरु होता है,यहाँ राजस्थान पुलिस के आलावा तीर्थ के खुद के सुरक्षा कर्मचारी भी मोजूद रहते है,पौस वदि दशमी को सुबह भगवान श्री पार्श्वनाथ का रथ पर भव्य वरघोडा निकाला जाता है जो तीर्थ क्षेत्र की परिक्रमा कर पूर्ण हो जाता है।
यहा पर अट्टम (तेला) एव अन्य तपस्या आदि करने वालो के लिए पूरी सुविधा रहती है।
पूरा दिन दर्शन, पूजा,अर्चना के लिए लंबी लंबी कतारें देखी जा सकती है।रात्रि को ट्रस्ट मंडल द्वारा साल भर का बजट प्रस्तुत किया जाता जाता है जो सकल के आम लोगों द्वारा द्वारा पास किया जाता है। श्री पार्श्व दादा एव श्रीनाकोडा भेरुजी सभी भक्तो की हर मनोकामना पूरी करे यही भावना।
इस वर्ष यह मेला नूतन अध्यक्ष श्री रमेशजी मूथा एव उनकी कार्यकारिणी के नेतृत्व में बड़े ही हरसोलास से सम्पन होगा जिसकी तैयारियां जोरों पर चल रही है।
लेखक --चम्पालाल छाजेड़
*नाकोड़ा से (चम्पालाल छाजेड पत्रकार सूरत )*
विश्व के पर्यटक मानचित्र पर तेजी से उभरते पश्चिम राजस्थान के जोधपुर संभाग के बाड़मेर जिला मुख्यालय से 125 कि मी दूर और बालोतरा से 12 की मी दूर चारो और सुन्दर पहाडियों से घिरे नाकोडा तीर्थ में प्राचीन और भव्य कलात्मक मंदिरों के समूह में मुख्य मंदिर में मुलनायक भगवान पारसनाथ की प्रतिमा स्थापित है।पहले जहा पीले संगमरमर की जैसलमेरी मूर्ति थी,जो भगवान महावीर की स्थापित थी पर फिर भूगर्भ से श्यामवरण भगवान पारसनाथ की प्रतिमा निकली तो उसे मुलनायक के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।उसी के निकट द़ाई और प्रकट प्रभावी,महाचमत्कारी,डमरूवाले बाबा श्री भैरवनाथजी की मुह बोलती प्रतिमा के दर्शन कर भक्त अपने आप को दोबारा आने को रोक नहीं पाते।इस प्रतिमा के नेत्रों की और जब श्रधा से अभिभूत भक्त की द्रष्टि जाती है तो ऐसा लगता मानो उनमे एक गुरुत्वाकर्षण बल की ताकत सी हो। वो बोलती आँखे और उनके ओठो की स्मित रेखा कह रही हो मनो सब कुछ मंगल ही मंगल होगा।सब शुभ ही शुभ ही होगा।
देश मे जहा जहा मारवाड़ी रहता है वहा वहा जिन मन्दिर के साथ साथ भैरूजी की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठित होती है मारवाड़ी भाषा मे इन्हें भोला भेरू भी कहते है।
मूल मंदिर के पश्चिम में थोडा ऊपर भगवान आदिनाथ का मंदिर है,जो स्थापत्य कला की द्रष्टि से सबसे सुन्दर है,यहाँ आने पर ऐसा लगता है की उनके आशीर्वाद की छाया में सब कल्याण ही होगा,दुःख,शोक,या अभाव का ताप जेसे नष्ट हो जाता है,असीम श्रद्दा एव भक्ति के साथ मांगी गई हर मन्नत पूरी करने वाले बाबा श्री भैरवनाथ के दरबार से कोई खाली नहीं लोटता है। मंदिर के आहते की मुख्य पोल में घुसने पर मुलमंदिर के पूर्व ही बाई और भगवान श्री शांतिनाथ का आकर्षक मनोहारी मंदिर है इसकी प्रतिमा भी अपने आप में एक अनुठी विलक्षणता लिए हुए है यह एक हसती-खिलती प्रशन मूद्रा में है,जिसके चरण में जाते ही शांति का अनुभव होता है।इस तीर्थ में प्रातः कालीन सूर्य जहा स्फूर्ति,चेतना,और राग का सन्देश देता है तो अस्त होता सूर्य विराग का,शांति का,संतोष का,और मंजिल तक पहुचने की तृप्ति और निश्चितता का स्वर धीरे-धीरे कानो के पास गुनगुनाने लगता है।मुख्य द्वार के बाहर समोशरण मंदिर श्रद्धालुओ के आकर्षक का केंद्र बना हुवा है, उसके पास ही छोटी पहाड़ी पर दादावाड़ी है जहाँ साक्षत संकट मोचन,दुख हरने वाले दादा गुरुदेव श्री कुशलसुरी जी विताजमान है। विरजमान है।
पास में शानदार बगीचा बनाया गया है उसके सामने ही पूजा सामग्री,जैन बुक,जैन सीडी,जैन उपकरण आदि की दुकानें बनी हुई है। श्रदालुओ की हर वर्ष बढती संख्या को ध्यान में रखते हुवे बेहतर सुविधाऐ उपलब्ध कराने के लिये ट्रस्ट मंडल द्वारा अत्याधुनिक सुविधाओ युक्त कई बड़े बड़े वर्तनुकूल भवनों,फ्लैट्स,कमरों का निर्माण करवाया है एव जारी भी है,एव आधुनिक भोजनशाला के बड़े हाल का निर्माण किया गया है,जिसमे हजारो आदमी एक साथ भोजन कर सकते है,भोजनशाला के बाहर ही एक आकर्षक झुला लगाया गया है जो बचों के लिए आकर्षक बना हुवा है,आज तीर्थ में सभी तरह की सुविधाए है जिसमे बिजली,पानी,पुस्तकालय,दवाखाना,डाकघर,रोडवेज बस की सुविधा की उपलब्ध है,यह तीर्थ भारत भर के मुख्य सभी बड़े शहरो से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सीधा जुड़ा हुवा है,मुंबई,कल्याण,सूरत,अहमदाबाद,जयपुर,जोधपुर,पाली,बाड़मेर,माउंट-आबू,बैंगलोर,चेनई,फ़ालना,श्री महावीरजी आदि जगहों से रेल सेवा उपलब्ध है,रेल द्वारा नाकोडा जी पहुचने के लिए जोधपुर,या बालोतरा स्टेशन आना पड़ता है जहा से हर समय रिक्शा,टेक्सी,बस,आदि की सुविधाए उपलब्ध है,हर वर्ष पौष वदि दशमी को लगने वाले वार्षिक मेले में जैनी ही नहीं अजैनी भी श्रधा भाव से हिस्सा लेते है तथा मन वांछित फल पाते है।
इस वर्ष यह मेला साल के अंतिम दिन 31/12/2018 को भरेगा।तीर्थ परिसर को आकर्षक रोशनी से सजाया जाता है,जेसे हम स्वर्ग में दिन के उजाले में बेट्ठे है,मेले में दुकाने,धार्मिक सामग्री की दुकाने,खाने-पिने के स्टाल,आदि लगाये जाते है,सामाजिक संस्थाओं द्वारा लागत मूल्य पर चाय,नाश्ता उपलब्ध करवाया जाता है।
सम्पूर्ण सुविधायुक्त तीन दिवसीय मेला भारी सुरक्षा के साथ बीच सुरु होता है,यहाँ राजस्थान पुलिस के आलावा तीर्थ के खुद के सुरक्षा कर्मचारी भी मोजूद रहते है,पौस वदि दशमी को सुबह भगवान श्री पार्श्वनाथ का रथ पर भव्य वरघोडा निकाला जाता है जो तीर्थ क्षेत्र की परिक्रमा कर पूर्ण हो जाता है।
यहा पर अट्टम (तेला) एव अन्य तपस्या आदि करने वालो के लिए पूरी सुविधा रहती है।
पूरा दिन दर्शन, पूजा,अर्चना के लिए लंबी लंबी कतारें देखी जा सकती है।रात्रि को ट्रस्ट मंडल द्वारा साल भर का बजट प्रस्तुत किया जाता जाता है जो सकल के आम लोगों द्वारा द्वारा पास किया जाता है। श्री पार्श्व दादा एव श्रीनाकोडा भेरुजी सभी भक्तो की हर मनोकामना पूरी करे यही भावना।
इस वर्ष यह मेला नूतन अध्यक्ष श्री रमेशजी मूथा एव उनकी कार्यकारिणी के नेतृत्व में बड़े ही हरसोलास से सम्पन होगा जिसकी तैयारियां जोरों पर चल रही है।
लेखक --चम्पालाल छाजेड़
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