जिनमंदिर के शिखर पर लहराती हुई ध्वजा श्रीसंघ मे सुख, समृद्धि और शांति को दर्शाती है| प्रतिवर्ष हम मंदिर की वर्षगांठ मनाते हुए शिखर से पुरानी ध्वजा को उतारकर नई ध्वजा चढ़ाते हैं| यह ध्वजा संदेश देती है कि गत वर्ष मे जीवन मे जो बुराइयां व कठिनाइयां आई हो, उन्हे उतारकर जीवन मे सद्गुणों को धारण करें| इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए धर्मनगरी दादाई मे सोनाणा आरस पत्थर से निर्मित, शिल्पकला की अनुपम कृति, देवविमान तुल्य, गगनचुंबी, दो गजराजों से शोभित मुख्य प्रवेश द्वार, शिखरबद्ध कलात्मक जिनप्रासाद मे प्राचीन श्वेतवर्णी 11 इंच की *भगवान शांतिनाथ जिनालय की ध्वजारोहण का कार्यक्रम अध्यक्ष श्री वक्तावरमलजी रांका के निर्देशानुसार विश्वव्यापी महामारी कोरोना वायरस के कारण पहली बार सादगीपुर्वक सम्पन्न हुआ| ध्वजा के कायमी लाभार्थी श्री चुन्नीलालजी भीमाजी रांका परिवार हैं* किन्तु वर्तमान कठिन परिस्थितियों के कारण *चाहते हुए भी सपरिवार सम्मिलित नहीं* हो सके| ध्वजारोहण का *विधिविधान पुजारीजी द्वारा किया गया तथा नजदीकियों से परहेज रखते हुए गाँव मे उपस्थित सदस्यों द्वारा “शांतिनाथजी शांति करो, रोग-शोक-भय दूर करो” के उद्गारों के साथ ध्वजारोहण सम्पन्न हुआ|* सभी ने भगवान के समक्ष संपूर्ण विश्व की मंगल प्रार्थना करते हुए कोरोना महामारी से निजात पाने की कामना की।
#Godwad_Jyoti
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