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*कहीं आपका सोश्यल सन्देश आपकी मानसिकता उजागर ना कर दे?*
कल तक बातें गांव में चाय की चुश्कियों के साथ चौराहे और शहरों के नुक्कड़ पर हो जाया करती थी लेकिन अब समय बदल गया है। *अब चौराहे-नुक्कड़ छोटे से मोबाइल फोन में सिमट आये हैं। पुराने समय मे जहां बड़े-बुजुर्गो का अनुभव हमारा मार्गदर्शन करते थे, वह जगह आज गूगल बाबा के फेसबुक, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम आदि ने ले ली है।* आज सोश्यल मीडिया सभी के लिए एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन गया है, जिसके माध्यम से संपर्क, संवाद, मनोरंजन तथा व्यवसाय में बढोतरी आदि कार्यो में उपयोग किया जा रहा है, जो उपयोगी भी साबित होती है। किंतु *सोश्यल मीडिया के कुछ नकारात्मक पक्ष* पर भी ध्यान देना जरूरी है क्योंकि टेलीविज़न ने लोगों से उनकी सोच छीनकर अपनी सोच थोपने की जो पहल आरंभ की, उसे सोशल मीडिया ने कई गुना आगे बढ़ा दिया है। सोश्यल मीडिया लोगों को *भ्रमित करने वाली सूचनाएँ, सत्य को असत्य और असत्य को सत्य सिद्ध करना सहित अश्लील सामग्री परोसने में सक्रिय भूमिका* निभा रहा है। हालांकि सरकार एवं संचार अपने स्तर पर कई नियम और कानून लागू कर रहे है लेकिन यहां समझने वाली बात यह है कि *हमे अपने आप पर स्व-अनुशासन लागू करना होगा और समाज को भी सजग रहने की आवश्यकता है।
* गैर इरादतन अथवा अनजाने ही सही लेकिन आपके द्वारा प्रेषित झूठी खबर, अश्लील सामग्री, जाति सम्बंधित टिप्पणी, हिंसा फैलाने वाले आलेख आदि को बिना सोचे-समझे आदान-प्रदान करने पर आपको दंडित किया जा सकता है और यह आपके एवं आपके परिवार के लिए जीवन भर का लज्जास्पद कृत्य हो जाता है। सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत आक्षेप भी किया जाता है और कई बार झूठी शानोशौकत का प्रदर्शन भी करते हैं। *हमें ऐसी अनैतिक सोच के लोगो का "Get Well Soon" कहकर पुरजोर सहयोग करना है* क्योंकि जब हमारा संघ-समाज समाजसेवा के विभिन्न कार्यो में समर्पण भाव से अपना योगदान दे रहे हैं, ऐसे में कुछ *सफेदपोश अपनी संकीर्ण मानसिकता से माहौल दूषित* कर रहे हैं। हमारे देश में सरकार स्वच्छ भारत अभियान चला रही हैं लेकिन  यदि समाज को शक्तिशाली एवं गौरवशाली बनाना है तो *सिर्फ जमीन, जल और वायु को स्वच्छ बनाने से काम नहीं चलेगा बल्कि संकीर्ण मानसिकता को भी स्वच्छ* करना पड़ेगा।  
माना कि *लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता* का महत्त्व है, किन्तु *स्वतंत्रता यदि स्वच्छंदता में बदल जाए* तो देश, समाज व भावी पीढ़ी निश्चित रूप से परेशान होगी। *आप बेशक अपने विचारों को साझा* करें बशर्ते *आपको अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी का एहसास हो* अन्यथा आपका कृत्य आपकी सामाजिक छवि को धूमिल कर देगा और कहीं ऐसा ना हो कि *आप सोश्यल मीडिया के बादशाह नही बल्कि जोकर बनकर रह जाएं।*
ज्योति मुणोत(गोड़वाड़ ज्योती)

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