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सिनेमा के नशेड़ियों की करतूतों को उजागर करने वाले कलाकारों को निशाने पर लेते हुए जया बच्चन ने कहा कि कुछ लोग जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं लेकिन रवि किशन ने कहा कि जिस थाली में जहर हो, उसमें छेद करना ही होगा।

अगर वह किसी हिंदी सिनेमा का कोई सीन होता, और वे इतने ही दमदार तरीके से बोलतीं तो लोग हर डायलॉग पर तालियां बजाते, वाह-वाह करते और खुश हो जाते। क्योंकि वे अभिनय बहुत अच्छा कर लेती हैं। जीवन भर किया भी तो वहीं है। सो, जया बच्चन सुपर हिट हो जाती। लेकिन बात थी सिनेमावालों के ड्रग में डूबे होने की, और जगह थी संसद, सो दर्ज हो गया इतिहास में। लेकिन बोलने पर बवाल मच गया क्योंकि जिंदगी कोई सिनेमा नहीं है। यहां तो अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर लोग गालियां तक परोस देते हैं, जो कि जया बच्चन को सोशल मीडिया पर मिल भी खूब रही हैं।    

जया बच्चन ने संसद में कहा कि बॉलीवुड को बदनाम करने की साजिश चल रही है। कुछ लोग जिस थाली में खाते हैं, उसमें ही छेद करते हैं। ये गलत बात है। मनोरंजन उद्योग के लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से बदनाम किय़ा जा रहा है। जया बच्चन के कहने का अर्थ यही था कि सिनेमा के निष्पाप लोगों को अचानक गुनाहगार साबित किया जा रहा है। लेकिन संसद में यह कहते वक्त जया बच्चन शायद यह भूल गई कि सिनेमा के कलाकारों को तो अपनी बदनामी की असल में कोई चिंता ही नहीं होती। वे तो अपनी फिल्में तक हिट करवाने के लिए खुद की बदनामी के नुस्खे ढूंढते रहते हैं। सो, ऐसे फिल्मवालों की क्या तो इज्जत और क्या उनकी बदनामी।

संसद में जया जब सोशल मीडिया के उलाहने दे रही थीं, तो उन्हे यह अंदेशा नहीं था कि सोशल मीडिया पर उनकी ज़बरदस्त खिंचाई होने वाली है। कंगना रणौत ने सोशल मीडिया पर ही उनसे पूछा – ‘जयाजी, क्‍या आप तब भी यही कहतीं अगर मेरी जगह पर आपकी बेटी श्‍वेता को ड्रग्‍स दिए गए होते और शोषण होता। क्‍या आप तब भी यही कहतीं अगर अभिषेक एक दिन फांसी से झूलते पाए जाते? थोड़ी हमदर्दी हमसे भी दिखाइए।‘ जाहिर है कंगना के इस सवाल का जवाब माननीय सांसद महोदया के पास हो ही नहीं सकता। जया बच्चन के खिलाफ यह गुबार इसलिए भड़क रहा है क्योंकि सिनेमा जगत में ड्रग्स की असलियत से अच्छी तरह वाकिफ होने के बावजूद जया बच्चन संसद में जो बोली, उसमें कितना सच था, यह वे खुद भी जानती है।    

यह सच है कि ढेर सारी फिल्मों में गजब का अभिनय करने वाली जया बच्चन आजकल बडे पर्दे पर कुछ खास नहीं कर पा रही हैं इसीलिए उन्हें सिनेमा के  इज्जत की चिंता है। लेकिन सिनेमा तो खुद अपनी इज्जत की परवाह न करते हुए कोकीन, स्मैक और हेरोइन के धुएं में अपनी इज्जत उडाने को हर पल बेताब दिखता है और ड्रग्स की पार्टियां करता है। जया बच्चन चाहे कहे कुछ भी लेकिन जानती वे भी हैं कि सिनेमा के संसार से नशीले धुंए में धंसे होने की गंध आती रहती है। फिर भी वही सिनेमा, जया बच्चन की नजरों में दूध का धुला है। उसे कैसे कोई बदनाम करने की जुर्रत कर सकता है। 

कायदे से देखें, तो बीजेपी के सांसद रविकिशन ने तो ऐसा कुछ कहा भी नहीं था, जिस पर जया बच्चन इतना बवाल मचाती। उल्टे जया बच्चन को तो रविकिशन समर्थन करना चाहिए था। क्योंकि उन्होंने तो पाकिस्तान और चीन से ड्रग्स की तस्करी रोकने और फिल्म उद्योग में इसके सेवन को लेकर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की जांच का मुद्दा उठाया था और इस दिशा में कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन वे तो भड़क उठीं। इसीलिए जया के जवाब में रवि किशन ने भी कहा है कि जिस थाली में जहर हो उसमें छेद करना ही पड़ेगा। अब शायद जया बच्चन भी सोच रही होंगी कि कभी कभी किसी मुद्दे पर न बोलना, बोलने के मुकाबले बहुत बेहतर होता है।  

निरंजन परिहार
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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