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इन्दौर:
मालवा के अनंत उपकारी सागर समुदाय के जैन समाज के तपोनिष्ठ आचार्य, गच्छाधिपति प.पू. दौलतसागर सूरीश्वरजी म.सा. के 100वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में श्री नवकार परिवार द्वारा आयोजित जन्म शताब्दी दिवस पर ऑनलाईन गुणानुवाद सभा में शहर के समग्र जैन समाज ने उन्हे 100वें जन्मदिन की बधाई देते हुए उनके उत्कृष्ट संयम जीवन की ढेरों भावपूर्ण अनुमोदना की। यह पहला मौका था, जब इस कार्यक्रम के दौरान समूचे समाज की एकता के अदभुत प्रसंग भी देखने-सुनने को मिले। जैन समाज के मूर्तिपूजक, स्थानकवासी, तेरापंथी, खतरगच्छ, त्रिस्तुतिक, गुजराती, मारवाड़ी, महिला मंडल, सोशल ग्रुप एवं समाज की पाठशालाओं के प्रतिनिधियों ने ऑनलाईन आकर तपोनिष्ठ संत के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। अनेक भक्तों के तो आंसू भी छलक पड़े। ‘गुरूवर गुण गुंजन‘ शीर्षक इस आयोजन का शुभारंभ रेसकोर्स रोड़ स्थित उपाश्रय श्री नवकार परिवार इन्दौर की मेजबानी में गच्छाधिपति के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया। गुणानुवाद सभा में संस्था के प्रेरण स्त्रोत पूज्य बंधु बेलड़ी आचार्य जिनचंद्र सागर सूरिश्वरजी म.सा. एवं हेमचंद सागर सूरीश्वरजी म.सा. ने भी अपने संदेश में समाज के वयोवृद्ध संतश्री के प्रति भावपूर्ण विचार व्यक्त किए। प.पु. गच्छाधिपति जैन समाज के सबसे वयोवृद्ध तपस्वी संत हैं| इस आयु में भी वें पूर्णत: स्वस्थ, चैतन्य और उर्जावान आचार्य हैं| उनका दीक्षाकाल 81 वर्षो का है, जो एक यशस्वी कीर्तिमान भी है| श्वेताम्बर जैन साधू-साध्वी भगवंतो के सबसे बड़े समूह के आचार्य होने का गौरव भी उन्हें प्राप्त है| शहर की 100 से अधिक संस्थाओं की ओर से उनके जीवन के शताब्दी महोत्सव के मंगल प्रसंग पर ऑनलाइन बधाई देने का यह अनूठा आयोजन पहली बार हो रहा है, जिसमे जिला प्रशासन की नियमावली के अनुरूप केवल ऑनलाइन संदेश ही लिए गये हैं| 

नवकार परिवार की ओर से प्रवीण गुरूजी ने कोरोना काल में गत 4 मई को किए गए 12 हजार सामायिक एवं नवकार मंत्र के 36 लाख जाप तथा 68 दिवसीय आयंबिल तप आराधना के साथ 4 जुलाई चतुर्दशी के दिन 21 हजार 121 समूह आयंबिल तप आराधना की जानकारी देते हुए इनका श्रेय गच्छाधिपति के शुभाशीष को दिया। इसी तरह संस्था द्वारा संचालित मेघ संस्कार वाटिका द्वारा बच्चों में संस्कार विकास के लिए पर्युषण पर्व के दौरान आयोजित श्रावक-श्राविका वेशभूषा स्पर्धा का विवरण भी दिया गया। करीब 108 संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपने बधाई एवं शुभकामना संदेश समर्पित किए। करीब ढाई घंटे चली इस गुणानुवाद सभा में अनेक भावपूर्ण प्रसंग भी आए और अनेक वक्ता भावुक होकर अपने आंसू भी नहीं रोक सके। अंत में आयोजक प्रवीण गुरूजी एवं महेंद्र गुरूजी ने अपने नवकार परिवार के सभी कल्याण मित्र सदस्यों एवं आए हुए जैन प्रतिनिधियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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