Post Page Advertisement [Top]


रविवार को सूर्य देव की पूजा करने से मान-सम्मान और प्रमोशन में आने वाली बाधा दूर होती है| मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या या फिर कोई भी राशि हो, सूर्य यदि बलवान नहीं हैं तो व्यक्ति को मान-सम्मान के लिए तरसना पड़ता है| मान-सम्मान का सीधा संबंध सूर्य से है इसलिए रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है| पंचांग के अनुसार कन्या राशि में सूर्य गोचर कर रहे हैं| सूर्य का गोचर सभी 12 राशियों को प्रभावित करता है| ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है| कन्या राशि में सूर्य का आगमन बीते 16 सितंबर को हुआ है और सूर्य कन्या राशि में 17 अक्टूबर तक गोचर करेंगे| 

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को एक प्रभावशाली ग्रह माना गया है इसीलिए सूर्य को ग्रहों को राजा भी कहा जाता है| सूर्य ऊर्जा और आत्मा का कारक भी है| जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य मजबूत स्थिति में विराजमान होते हैं और शुभ ग्रहों से दृष्ट होते हैं, ऐसे जातक राजा के समान होते हैं| सूर्य प्रधान व्यक्ति को जीवन में उच्च पद और मान-सम्मान प्राप्त होता है| 

शुभ सुर्य के फल 

जन्म कुंडली में सूर्य जब शुभ स्थिति में होते हैं तो व्यक्ति लोकप्रिय होता है और घर-परिवार में ऐसे लोगों की बात को बहुत गंभीरता से सुना और समझा जाता है| सूर्य जब बलवान होता है तो व्यक्ति में राजा के समान गुण विकसित करता है| ऐसे लोग किसी के अधीन होकर कार्य करना पसंद नहीं करते हैं| इन्हें नेतृत्व करना अधिक पसंद आता है| 

अशुभ सूर्य के फल 

सूर्य जब अशुभ होता है तो व्यक्ति के मान-सम्मान में कमी आती है| जॉब में प्रमोशन देर से मिलता है| पुत्र के साथ संबंध अच्छे नही होते हैं| धन के मामले में भी ऐसे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है| 

रविवार के दिन सूर्य देव की करें पूजा 

रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है| मान्यता है कि इस दिन सूर्य की पूजा करने से सूर्य मजबूत किया जा सकता है| सूर्य पिता भी माना गया है इसलिए पिता की सेवा करने से भी सूर्य प्रसन्न होते हैं| रविवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं| जल में गंगा जल और लाल चंदन मिलाकर चढ़ाते हैं तो इसके परिणाम अधिक अच्छे आते हैं| 

सूर्य मंत्र का जाप करें 

1. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:| 

2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा| 

3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:| 

4. ॐ ह्रीं घृणि: सूर्य आदित्य: क्लीं ॐ| 

5. ऊं घृणिं सूय्र्य: आदित्य:|

No comments:

Post a Comment

Total Pageviews

Bottom Ad [Post Page]