श्रमण संघीय साध्वी हेमवती की देह पंचतत्व में विलीन, कोरोना संक्रमित होने पर हॉस्पिटल में चल रहा था इलाज
उदयपुर: श्रमण संघीय संत उपाध्याय पुष्कर मुनि की 78 वर्षीय शिष्या साध्वी हेमवती का अशोक नगर स्थित मोक्षधाम में अन्त्येष्टि की गई। साध्वी हेमवती का रात्रि 11 बजे निधन हो गया था। कोरोना संक्रमित होने पर गत 25 मई को उन्होंने सागारी संथारा ग्रहण किया था। देवलोक गमन की सूचना मिलने पर उदयपुर सहित राजस्थान गुजरात आदि विभिन्न शहरों में निवासरत जैन समाज के अनुयायियों में शोक की लहर फैल गई। साध्वीश्री हेमवती विगत 30 वर्षों से शास्त्री सर्कल गुरु पुष्कर मार्ग स्थित श्री तारक गुरु जैन ग्रंथालय में में स्थिरवास थी।
ग्रन्थालय के उपाध्यक्ष गणेशलाल गोखरू ने बताया कि अन्त्येष्टि से पूर्व पार्थिव देह को कोरोना प्रोटोकॉल की पालना करते हुए शास्त्री सर्कल स्थित श्री तारक गुरु जैन ग्रंथालय परिसर लाया गया, जहां मौजूद समाज सदस्यों और साध्वी के सांसारिक परिवार के सदस्य ने अंतिम दर्शन किए। साध्वी के सांसारिक भाई भगवतीलाल सिंघवी, भतीजा महावीर कोठारी, ग्रंथालय के मंत्री वीरेंद्र डांगी, उपाध्यक्ष गणेशलाल गोखरू, एडवोकेट रोशनलाल जैन, दिनेश चोरडिया, लक्ष्मीलाल वीरवाल, अनिल सिंयाल, राजेंद्र खोखावत, श्रीमती सूरजदेवी वीरवाल सहित समाजजन उपस्थित थे।
ज्ञातव्य हो कि साध्वी हेमवती पिछले कई दिनों से अस्वस्थ थी। विगत 22 मई को कोरोना रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर उन्हें उदयपुर शहर के महाराणा भूपाल राजकीय चिकित्सालयष् के कोरोना वार्ड में भर्ती करवाया गया था। श्री पुष्कर देवेन्द्र परिवार के संतों व ग्रंथालय के पदाधिकारियों तथा उनके सांसारिक परिजनों की सहमति पर 25 मई को दोपहर सवा 12 बजे पंजाब के मलोट में प्रवासरत राजस्थान प्रवर्तक डॉ. राजेंद्र मुनिजी म.सा. ने दूरभाष पर सागारी संथारा का प्रत्याख्यान करवाया था, जो कि अंतिम समय तक गतिमान था।
इस अवसर पर श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ- उदयपुर, श्री तारक गुरु जैन ग्रंथालय, देवेन्द्र धाम, श्री अमर जैन साहित्य संस्थान, गुरु पुष्कर ध्यान केंद्र, श्री महावीर अमर स्वाध्याय भवन, गुरु पुष्कर साधना केन्द्र, श्री गुरु पुष्कर नवकार तीर्थ भवन, साध्वी कुसुमवती चेरीटेबल ट्रस्ट, श्री तारक गुरु जैन मित्र मंडल, महासती सोहनकुंवर महिला मंडल, जैनाचार्य श्री देवेन्द्र महिला संस्थान, जैन काफेंस राजस्थान शाखा के सदस्यों ने भी साध्वीश्री को श्रद्धांजलि अर्पित की|
जीवन परिचय: उदयपुर जिले के नांदेशमा गांव में 20 मार्च 1943 में ओसवाल परिवार माता विरजु बाई और पिता हंसराज सिंघवी के घर जन्मी रुक्मणी बाई, (जन्म नाम) ने 11 जून 1967 को साध्वीरत्न सज्जनकुंवर से जैन दीक्षा ग्रहण कर साध्वी उपप्रवतिनि कौशल्या म.सा. की शिष्या बनी। साध्वी हेमवती को हिन्दी, मारवाड़ी, मेवाड़ी भाषाओं का ज्ञान था। भावना आनुपूर्वी, भक्तामर हिंदी पुस्तक का संकलन भी किया।
No comments:
Post a Comment