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सवाई माधोपुर. कोटा-लालसोट मेगा हाइवे पर बनास नदी में बस हादसे को 36 घंटे से अधिक समय वक्त गुजर चुका है। रविवार को पुलिस-एफएसएल टीम और आसपास के लगभग 50 गांवों के लोग उसी पुल से बनास नदी की गहराई नाप रहे थे जिसने शनिवार को 33 जिंदगियां लील ली थी। मानो कह रही हों कि आज बनास का पानी इतना शांत है लेकिन एक हादसे से कितने परिवारों के जीवन में उफान ला दिया। हादसे का कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। उन लोगों के भी कई प्रश्न अनुत्तरित हैं, जिन्हाेंने इस वीभत्स हादसे में अपनों को खोया है। हर कोई अपनी तरह से हादसे का अनुमान लगा रहा है।


- रविवार को एफएसएल की विशेष टीम ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया। इस दौरान पुल के ऊपर मिले निशानों के आधार पर ही एफएसएल टीम दुर्घटना की स्थिति का अनुमान लगा रही है।

- एफएसएल टीम के अनुसार यह दुर्घटना संभावित रूप से हाइस्पीड ओवरटेकिंग व सामने से अचानक वाहन आने के कारण हुआ।

- आेवरस्पीड में आेवरटेक करने के प्रयास के दौरान बस अचानक अपने लेन को छोड़ दूसरी लेन में गई। चालक ने बस को नियंत्रित करने के लिए तेजी से ब्रेक भी लगाए, जिससे बस के टायर घीसटते हुए दूसरी लेन तक दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में सामने की तरफ से दूसरी लेन में अचानक दूसरा वाहन आता दिखाई दिया। ऐसे में घबराए बस चालक का नियंत्रण बस से छूट गया और तेज गति की बस टायर पर घीसटती हुई सीधी बनास नदी के पुल पर लगे सीमेंटेड रेलिंग से जा टकराई। बस की गति तेज होने के कारण बस रेलिंग को तोड़ती हुई नदी में जा गिरी।

- दूसरी तरफ अपनी लेन में आ रहे छोटे वाहन ने भी अचानक बस को सामने आता देख तेजी से ब्रेक लगाए, जिससे वह वाहन (संभावित कार) भी करीब काफी दूर तक घीसटती हुई गई।

- पुल पर दुर्घटनास्थल के दोनों तरफ बस एवं संभावित कार के टायरों के घीसटने के निशान मिले हैं। आखिरी रिपोर्ट सभी प्रमाणों एवं वहां मिले साक्ष्यों की जांच के बाद ही एफएसएल द्वारा प्रस्तुत की जाएगी।

भरोसा हो गया भगवान है

हादसे के बाद आईसीयू में भर्ती दवीचरण गुर्जर ने रविवार को आखिरकार अपने घायल बेटे को देखा। एक-दूसरे को देखकर दोनों की आंखें छलक उठीं। दोनों में से किसी को भी भरोसा नहीं था कि दूसरा जिंदा है। बेटा अनुराग भी हादसे के बाद से ही पिता को देखने की जिद कर रहा था। गंभीर घायल होने के बाद भी जब दवीचरण अपने पुत्र से मिला तो उसकी आंखोंं से आंसू आने लगा। उसने कहा- आज भरोसा हो गया, भगवान होता है।

घर से दूर भी लोगों ने इतनी मदद की, भुला नहीं पाउंगी

- दुर्घटना में घायल महिला कमलेशी ने बताया कि उसे यह जानकार अचंभा हो रहा है कि इतने वीभत्स हादसे में लोगों ने उसकी जान कैसे बचा ली।

- शनिवार को नदी में बस से निकालने से लेकर अभी तक लोगों ने जिस तरह उसकी देखभाल की इसके लिए वह लोगों व प्रशासन का ऋण जीवन में कभी नहीं भुला पाएगी। उसका परिवार साथ नहीं है लेकिन लोगों ने उसकी भरपूर मदद की।

जो बस में पीछे बैठे थे वही जिंदा बचे

ठंड ज्यादा होने की वजह से सोनू को कंबल से दुबका रखा था
- रविवार को अलग अस्पतालों में जाकर दुर्घटना में घायलों से मुलाकात की।

- इस दौरान गर्ग सर्जिकल अस्पताल में भर्ती देवीचरण गुर्जर ने बताया कि वह अपने बच्चे सोनू के साथ बस की आखिरी सीट पर बैठा था।

- ठंड होने के कारण उसने सोनू को अपने कंबल में दुबका रखा था। दुर्घटना कैसे हुई और किन हालातों में हुई, इसका उसे लेश मात्र भी अंदाजा नहीं है। वे बस के पिछली सीट पर होने के कारण ही बच गए। नीचे जब बस गिरी तब उन्हें अंदाजा ही नहीं था।

सभी मृतकों की शिनाख्त
- कोटा-लालसोट मेगा हाइवे पर स्थित बनास पुलिया से यात्रियों से भरी बस के नदी में गिरने से हादसे में मृत सभी शवों की शिनाख्त हो चुकी है। चिकित्सकों ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा है। - वहीं एक निजी अस्पताल में भर्ती घायल महिला की हालत गंभीर होने पर उसे जयपुर रेफर किया है। शेष सभी छह मरीजों का उपचार चल रहा है।

- कोतवाली थानाधिकारी नेमीचंद ने बताया कि बनास नदी हादसे में गत दिवस एक मृतक को छोड़कर सभी 32 शवों की शिनाख्त हो गई थी।

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