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मुंबई/ गोडवाड ज्योती: अध्यात्म और विज्ञान प्रायः एक दूसरे के विपक्षी माने जाते रहे हैं किन्तु सही मायने में ये एक दूसरे के लिए संपूरक बन सकते हैं। अपेक्षा है कि आध्यात्मिक साधना के प्रयोगों को वैज्ञानिक आधारों पर परखा जाये और शोध पर आधारित परिणामों को जनता के सम्मुख रखा जाए ताकि युवा पीढ़ी धर्म के सकारात्मक पक्ष को जान सके। ये विचार आचार्य महाश्रमणजी के विद्वान शिष्य मुनि अभिजीत कुमारजी ने महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री सी॰ एच॰ विद्यासागर राव के साथ चर्चा करते हुए राजभवन में व्यक्त किए।

आध्यात्मिक शोध को प्रगति देने हेतु प्रस्तावित संस्था I-ARTIST (International Ahimsa Research and Training Institute for Spiritual Technology) के संदर्भ में चर्चा करने हेतु मुनिश्री अभिजीत कुमारजी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल राजभवन पहुंचा। इस प्रतिनिधिमंडल में मुनि जागृत कुमारजी, राष्ट्रवादी विचारक श्री रवीद्र संघवी, डॉ. एम. एम. बेगानी, अहिंसा समन्वय मुंबई के संयोजक श्री राजकुमार चपलोत एवं जैन स्कॉलर श्री पीयूष कुमार नाहटा सम्मिलित हुए।

लगभग 45 मिनट की चर्चा में आध्यात्म और विज्ञान के सम्मिलन की दृष्टि से अब तक किए गए शोध कार्यों पर विस्तृत चर्चा हुई। राज्यपाल महोदय ने प्रो. मुनि महेंद्र कुमारजी द्वारा कृत Enigma of universe के संदर्भ मे विशेष रुचि प्रदर्शित करते हुए भारतीय ऋषि परंपरा द्वारा प्रदत्त अवदानों को आगे बढ़ाने के प्रयासों की सराहना की। चर्चा के दौरान यह बात विशेष रूप से उभर कर आई कि राज्यपाल महोदय सिर्फ एक राजनेता ही नहीं अपितु दर्शन एवं विज्ञान के अच्छे ज्ञाता भी हैं।

डॉ. एम. एम. बेगानी ने मेडिकल साइन्स के क्षेत्र में योग एवं ध्यान द्वारा आने वाले क्रांतिकारी परिणामों की चर्चा की। श्री रवीद्र संघवी ने जैन साधना पद्धति के वैज्ञानिक पक्षों पर प्रकाश डाला। श्री राजकुमार चपलोत ने अहिंसा प्रशिक्षण के क्षेत्र मे हुए कार्यों पर प्रकाश डाला। श्री पीयूष कुमार नाहटा ने हृदय एवं कैंसर रोगों के इलाज के संदर्भ में प्रेक्षाध्यान के द्वारा किए गए शोध कार्यों के संदर्भ में जानकारी दी। राज्यपाल महोदय को प्रतिनिधि मण्डल के सदस्यों ने शॉल एवं साहित्य से सम्मानित किया।

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