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*भगवान् श्री पार्श्वनाथ जन्मोत्सव पर विशेष लेख :- (पोष वदी दसमी-21/12/19)*                                                    
*जन जन की आस्था का केंद्र विश्व प्रसिद्ध नाकोड़ा तीर्थ*



विश्व पर्यटक मानचित्र पर तेजी से उभरते पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर संभाग में काला सोना (तेल) उगलने वाले,सीमावर्ती बाड़मेर जिल्ला मुख्यालय से लगभग 125 कि.मी.व् बालोतरा उपखंड से लगभग 10 कि.मी.दूर चारो और पहाड़ियों से घिरे श्री नाकोड़ा तीर्थ में प्राचीन और भव्य कलात्मक मंदिरो के समूह में मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा स्थापित है।

पहले जहा पीले संगमरमर की जैसलमेरी मूर्ति,जो भगवान श्री महावीर स्वामी की स्थापित थी पर फिर भूगर्भ से जब श्यामवर्ण भगवान श्री पार्श्वनाथ की प्रतिमा निकली तो उसे मूलनायक के स्थान पर प्रतिस्तिठ किया गया।

उसी के निकट दायीं और श्री भैरवनाथ की मुह बोलती चमत्कारी प्रतिमा के दर्शन कर भक्त अपने आप को दुबारा यहाँ आने से रोक नहीं पाते है।इस प्रतिमा के नेत्रो की और जब श्रद्धा से अभिभूत भक्त की दृष्टि जाती है तो ऐसा लगता है मानो उनमे एक गरूत्वाकर्षण बल सी ताकत हो,वो बोलती हुई आँखे और उनके ओठो की स्मित रेखा यह कह रही हो मानो सब मंगल ही मंगल,और शुभ ही शुभ होगा।

मूल मंदिर के पश्चिम में थोडा ऊपर भगवान श्री आदिनाथ का मंदिर है जो स्थापत्य कला की दृष्टि से सबसे सुन्दर और प्रभावशाली है,यहाँ जाने पर ऐसा लगता है कि उनके आशीर्वाद की छाया में सबका कल्याण होगा,दुःख,शोक,या आभाव का ताप जेसे नष्ट हो जाता है।

असीम श्रद्धा एव भक्ति के साथ मांगी गई प्रत्येक मन्नत परिपूर्ण करने वाले अधिष्टायक देवता,डमरू वाले बाबा,श्री नाकोड़ा भेरूजी के दरबार से कोई ख़ाली हाथ नही लोटता है।

मंदिर के अहाते की मुख्य पोल में घुसने पर मूल मंदिर से पूर्व ही बायीं और भगवान श्री शांतिनाथ का आकर्षक एव मनोहारी मंदिरहै।

इसकी प्रतिमा भी अपने आप में विलक्षणता लिए हुवे है।यह एक हँसती खिलती प्रसन् मुद्रा की मूर्ति है,जिसके चरण में जाते ही स्वतः शांति का अनुभव होता है।मूल मंदिर के दक्षिण में पहले दो गर्भगृह थे जो अब बंद कर लिए है।

इस तीर्थ में प्रातः कालीन सूर्य जहा स्पूर्ति,चेतना,और राग का सन्देश देता है तो अस्त होता सूर्य विराम का,शांति का,संतोष और मंजिल तक पहुचने की तृप्ति और निश्चितता का स्वर धीरे धीरे कानो के गुनगुनाने लगता है।शांतिनाथ जिनालय के भीतरी भाग में भगवान श्री शांतिनाथ एव पार्श्व नाथ की जीवनी को दर्शाने वाले शिलापट लगे हुवे है जो बड़े ही मनोहारी एव द्र्श्यग्राही दिल को छूने वाले है।

प्रति वर्ष यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुवे यहाँ करोडो रूपये लगाकर अनेकानेक परिवर्तन किये गए है।आज यहाँ हर तरह की आधुनिक सुविधाओ से युक्त कमरे उपलब्ध है।स्वागत कक्ष,कमरा आवंटन कक्ष,भोजन कूपन वितरण आदि का कार्य अलग अलग रूप से कम्प्यूटराइज सिस्टम है।सम्पूर्ण भारत से ऑन लाइन रूम बुकिंग सुविधा भी उपलब्ध है।


आधुनिक स्टील टेबल एव कुर्सी के साथ बड़े हाल में सुन्दर वयवस्था के साथ भोजनशाला में एक साथ हजारो यात्री भोजन कर सकते है।भोजनशाला प्रागण में बाहर एक आकर्षक मनोहारी फव्वारा लगाया गया है जो विशेष तौर से बच्चो के लिए मनोरंजन का केंद्र है।आज यहाँ हर तरह की सुविधा उपलब्ध है।

तीर्थ क्षेत्र में श्रद्धालु यात्रियों के आवास के लिए कुल 9 भवन जिसमें 350 कमरों की एक विशालकाय आधुनिक सुविधा युक्त वार्तानुकुल धर्मशाला बनी हुई है

तीर्थ द्वारा नई आधुनिक गौशाला चलाई जा रही है,सर्दी के दिनों में गर्म पानी हेतू सोलर सिस्टम,प्रदूषण के बचाव हेतु गमला प्लांट,एव एसटीपी की व्यवस्था है।

नाकोड़ा तीर्थ द्वारा सरकारी प्रधानमंत्री स्कूल योजना के अंतर्गत मंदिर के अंदर भक्ताम्बर पाठशाला जिसमे पूर्ण भक्ताबर का चित्र दर्शन की आधुनिक व्यवस्था है। जैन विद्यार्थियों को छात्रवर्ती एव विधवा महिलाओ को घर बैठे पैसा भेजने की पेंशन स्कीम भी चल रही है।

बिजली,पुस्तकालय,वाचनालय,गार्डन,मोदीखाना,अस्पताल,रोडवेज बुकिंग,बड़े-बड़े सभागृह,टेक्सी सुविधा,तथा पहुचने के लिए पक्की सड़क है।

यह तीर्थ देश के कई बड़े शहरो से प्रत्यक्ष,अप्रत्यक्ष रूप से सीधा जुड़ा हुवा है वह चाहे अहमदाबाद,सूरत,जयपुर,जोधपुर,श्री महावीरजी,हो।रेल सेवा द्वारा देश के किसी भी शहर से नजदीकी स्टेशन जोधपुर या बालोतरा पंहुचा जाता है।जहा से हर समय बस,टैक्सी,रिक्शा,मिनी बस,जीप,सूमो आदि वाहन की सुविधा हर समय उपलब्ध रहती है।

यहाँ हर वर्ष पोष वदि दसमी को तीन दिवसीय भगवान श्री पार्श्वनाथ का जन्मोत्सव बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है।तब सपूर्ण भारत से जेनी ही नहीं अजेनी भी हजारो की संख्या में श्रद्धा भाव से आते है और मन वांछित फल पाते है।तब तीर्थ प्रागण को आकर्षक रौशनी से सजाया जाता है।तीर्थ में तीन दिवसीय मेला भारी सुरक्षा के बीच शुरू होता है जहा तीर्थ के स्वय के सुरक्षा गार्ड के आलावा राजस्थान पुलिस के जवानो सहित महिला पुलिस भी मुस्तैद रहती है।

मंदिर परिसर के बाहर की तरफ गार्डन के सामने श्रद्धालुओ के लिए प्रसादी,ऑडियो,वीडियो,धार्मिक पुस्तक,साहित्य,खिलौना,गेम,सहित अल्पाहार,चाय नाश्ता की दुकाने तीर्थ द्वारा बनाई गई है।

तीर्थ की सम्पूर्ण देखरेख के लिए प्रति दो वर्षो से आम चुनाव् होते है जिसमे पुरे भारत का प्रतिनिधित्व रहता है।नाकोड़ा जी तीर्थ में पिछले कई वर्षो से निर्माणाधीन श्री समोसरण मंदिर का भव्य से भव्य प्रतिष्टा महोत्सव जब सम्पन हुवा था तब कई आचार्यो सहित सेकड़ो साधु साध्वी एक हजारो लोगो ने भाग लिया था जो अपने आप भी श्रद्धा का प्रतीक ही है

तीर्थ के अध्यक्ष रमेशकुमार मुथाजी ने बताया कि यह समवसरण मंदिर विश्व् का सबसे बड़ा अनूठा एव ऐतिहासिक समवसरण मंदिर है।। गजब की नक्कासी के साथ पत्थरो में जान भरी हुई कला की बारीकियां देखने को मिल रही है।

बाहर की तरफ छोटी पहाड़ी पर स्थित दादावाड़ी में दादा गुरुदेव श्री जिन कुशल सूरीश्वर जी के पगलिये है।जहाँ दर्शन पाकर दर्शनार्थी अपने आप को भाग्यशाली मानते है।

यहां सभी तरह के तपस्वियों के लिए सम्पूर्ण व्यवस्था हर समय रहती है।

इन दिनो मूलनायक भगवान के गंभारे के बाहर रंगमंडप में जीर्णोद्वार चल रहा है निर्माण के बाद इसमें पूजा ,अर्चना,विधि करने वाले श्रद्धालुओं के बैठने की संख्या में बढ़ोतरी होगी।

आप सभी सपरिवार हर वर्ष भव्य से भव्य होने वाले इस तीन दिवसीय *पो दशमी महोत्सव* (20 से 22 दिसम्बर) में पधारकर जिन शासन की शोभा बढ़ावे।

श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ
पोस्ट-मेवानगर नाकोड़ा जी तीर्थ
बालोतरा जिल्ला बाड़मेर (राज.)

लेखक-
चम्पालाल छाजेड़

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