गहलोत की ताकत का असर दिखा, प्रदेश के 6 नगर निगम चुनाव में
राजस्थान के 6 नगर निगमों में 2-2 पर भाजपा और कांग्रेस का कब्जा, जयपुर के एक नगर निगम में निर्दलीयों की ताकत तो कोटा के एक में मामला लटक गया
जयपुर। 03 नवंबर: राजस्थान के तीन नगर निगमों के चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की रणनीति सफल रही। अगर पहले की तरह ही चुनाव होते तो जयपुर, जोधपुर और कोटा तीनों नगर निगमों पर बीजेपी का सीधा सीधा कब्जा होता लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत ने इस बार इन तीनों बड़े शहरों को दो भागों में बांट कर दो – दो नगर निगम बनाकर चुनाव करवाए तो परिणाम बदल गए। इस चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। बड़े शहरों के नगर निगम में लंबे समय बाद शहरी मतदाताओं में सेंध मारकर कांग्रेस ने एक नया परचम लहराया है। कोटा में तो दोनों नगर निगम कांग्रेस के हो जाएं तो भी कोई आश्चर्य नहीं होगा, क्योंकि वहां कोटा साउथ में बीजेपी व कांग्रेस दोनों को 36–36 सीटें मिली है और 8 निर्दलीय जीते हैं। इसी तरह जयपुर हेरिटेज में भी 11 निर्दलीय दोनों दलों का सहारा है।
ताजा परिणामों के अनुसार राजस्थान के तीन बड़े शहरों के 6 नगर निगमों में से 2-2 पर भाजपा और कांग्रेस का कब्जा रहा है तो जयपुर के एक नगर निगम में निर्दलीयों के सहारे सरकार बनेगी और कोटा के भी निर्दलियों के भरोसे ही है। जोधपुर साउथ और कोटा नॉर्थ में कांग्रेस जीती है, तो जयपुर ग्रेटर और जोधपुर नॉर्झ में बीजेपी को बढ़त हासिल हुई है।जिन दो मगर निगमों में मामला लटका हुआ है, वहां जयपुर हेरिटेज सिटी में कांग्रेस ने 47 वार्डों और बीजेपी ने 42 वार्डों में जीत दर्ज की है, जबकि निर्दलीयों ने 11 वॉर्डों पर बाजी मारी है। अब वहां पर निर्दलियों के भरोसे मामला है। इसी तरह से कोटा साउथ नगर निगम में बीजेपी व कांग्रेस दोनों को 36–36 और निर्दलियों को 8 जगह पर जीत हासिल हुई है।
जयपुर, जोधपुर और कोटा जैसे बड़े शहरों के नगर निगमों पर अब तक भाजपा का कब्जा रहा है लेकिन इस बार तीनों नगर निगम को दो भागों में विभाजित करने की वजह से 2 नगर निगम पर सीधे तौर पर कांग्रेस का कब्जा हो गया है और दो में मामला लटक रहा है तो 2 में भाजपा को बढ़त हासिल हुई है इसीलिए कहा जा रहा है कि जयपुर, जोधपुर व कोटा के 6 नगर निगमों के चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की रणनीति काफी हद तक सफल रही है।
मुख्यमंत्री गहलोत सरकार ने बड़े शहरों में निगमों को इस बार दो हिस्सों में बांट दिया था, जिसके चलते कांग्रेस ने जोधपुर, कोटा में एक-एक निगम भाजपा से छीन लिया है। कोटा में दूसरे निगम में मामला टाई हो गया है। जयपुर में भी जयपुर हेरिटेज सिटी में ज्यादा सीटें भाजपा को मिली है। लेकिन कुल 11 निर्दलीय होने और कोटा साउथ में भी 8 निर्दलीय वहां के नगर प्रशासन के भाग्य विधाता होंगे। वैसे, कांग्रेस को फायदा होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। क्योंकि माना जाता है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार होने के नाते निर्दलियों का झुकाव कांग्रेस की तरफ हो सकता है। फिर भी देखते हैं, आगे क्या होता है। क्योंकि जीते हुए प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी होने के साथ ही असली राजनीति तो अभी शुरू हो रही है।
जय़पुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का होम ग्राउंड है। वे जिस इलाके में रहते हैं, उस इलाके जोधपुर नॉर्थ नगर निगम में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है। मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत इसी इलाके की कमान संभाले हुए थे। तो केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर साउथ में बीजेपी को जिताकर अपनी साख बचाने में सफल रहे हैं। उधर कोटा में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। इस बार के नगर निगम चुनाव में उनके राजनीतिक विरोधी और व्यक्तिगत मित्र शांति धारीवाल ने उन्हें पटखनी दे दी है। कोटा बीजेपी का गढ़ रहा है, लेकिन इस बार बुरी हार का सामना करना पड़ा है।
जयपुर हेरिटज नगर निगम- कुल वार्ड- 100
कांग्रेस- 47
बीजेपी- 42
अन्य- 11
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जयपुर ग्रेटर नगर निगम- कुल वार्ड- 150
बीजेपी- 88
कांग्रेस- 49
अन्य- 13
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जोधपुर उत्तर नगर निगम- कुल वार्ड- 80
बीजेपी- 19
कांग्रेस- 53
अन्य- 08
जोधपुर दक्षिण नगर निगम- कुल वार्ड- 80
बीजेपी- 43
कांग्रेस- 29
अन्य- 08
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कोटा उत्तर नगर निगम- कुल वार्ड- 70
बीजेपी- 14
कांग्रेस- 47
अन्य- 09
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कोटा दक्षिण नगर निगम- कुल वार्ड- 80
बीजेपी- 36
कांग्रेस- 36
अन्य- 08
निरंजन परिहार (लेखक राजनीतिक विशेषज्ञ हैं।)
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