राज्यपाल को विमान से उतरना पड़ा, इजाज़त नहीं मिली, पाटिल बोले- उद्धव सरकार की छोटी मानसिकता
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा- महाराष्ट्र सरकार बदले की राजनीति पर उतरी
मुंबई: राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को राज्य सरकार के विमान से उडान भरने की इजाज़त न देने को महाराष्ट्र बीजेपी ने महाराष्ट्र सरकार की छोटी सोच और राज्यपाल का अपमान बताया है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार बदले की भावना से राजनीति कर रही है, जिसे महाराष्ट्र की जनता समझ रही है।
ताजा घटनाक्रम पर बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटिल ने पुणे में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि तुमसे राज्य सरकार बदले की भावना से काम कर रही है। पाटिल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि देशहित में ट्विटर पर बयान देने के बावजूद लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर जैसे अत्यंत सम्मानित हस्तियों व भारत रत्नों के ट्वीट की जांच कराने और उससे पहले बीजेपी के नेताओं की सुरक्षा व्यवस्था वापस लेना इसके ताजा सबूत हैं। पाटिल ने सवाल किया कि आखिर लता दीदी और सचिन तेंदुलकर को भी आखिर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है कि नहीं।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सरकारी चार्टेड प्लेन से देहरादून के लिए रवाना होना था। राज्यपाल कोश्यारी जब मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंचे और 15 से 20 मिनट तक अपने चार्टेड प्लैन में ही बैठे रहे लेकिन विमान नहीं उड़ा तो उन्होंने पायलट से उड़ान नहीं भरने का कारण पूछा। पायलट ने राज्यपाल को बताया कि राज्य सरकार की ओर से उन्हें अभी तक उड़ान भरने की परमिशन नहीं मिली है। राज्यपाल शुक्रवार (12 फरवरी) को मसूरी में होने वाले लाल बहादुर शास्त्री एकेडमी के वार्षिक समारोह में शामिल होने के लिए राजभवन से निकले थे। कई बार संपर्क के बावजूद आखिरकार जब राज्यपाल को उड़ान की इजाज़त नहीं मिली तो बाद में उन्हें स्पाइस जेट की नियमित कमर्शियल उड़ान से देहरादून जाना पड़ा। ताज़ा घटना से साफ है कि राज्यपाल और उद्धव ठाकरे की सरकार के बीच चल रही खींचतान अब अपमान के स्तर पर पहुंच गई है।
हालांकि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की चार्टेड प्लेन से देहरादून यात्रा को लेकर राजभवन से एक सफ्ताह पहले ही राज्य सरकार को सूचित कर दिया गया था। इस यात्रा की पूरी जानकारी मेल के जरिये भेजी गई थी। एक सामान्य प्रक्रिया के तहत सरकार की तरफ से इस प्रकार की यात्राओं को तत्काल स्वीकृति दे दी जाती है एवं कभी-कभी यात्रा पूरी होने के बाद भी सामान्यतया अधिकृत कर दिया जाता है लेकिन उड़ान के लिए राज्यपाल के सरकारी विमान में बैठ जाने और उसके बावजूद पायलट को उड़ान भरने से रोके जाने की वजह से इसे राज्यपाल का अपमान माना जा रहा है।
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