कोरोना संक्रमण : ज्यादा स्मार्ट बनने की सजा झेल रहा है भारत
सार
- चीन(वुहान) और पड़ोस को छोड़कर हम रहे बेखबर
- चीन और डब्ल्यूएचओ ने तथ्यों को छिपाया
- मार्च के महीने तक जारी रही कामर्शियल फ्लाईट
- मार्च के महीने तक हुआ मास्क, सैनिटाइजर का निर्यात, नहीं बरती सावधानी
विस्तार
कोरोना संक्रमण की संभावना को लेकर अब विशेषज्ञ केन्द्र सरकार पर कमेंट करने के लिए आगे आने लगे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि भारत ज्यादा स्मार्ट बनने की सजा झेल रहा है। पूर्व विदेश सचिव शशांक का भी कहना है कि लग रहा है कि कई स्तर पर गड़बडियां हो गई।
हम चीन और उसके प्रांत वुहान तथा नेपाल समेत आस-पास के देशों को छोड़कर बेखबर रहे। ईरान, इटली, ब्रिटेन, यूरोप के लोग देश में आते-जाते रहे। इसी तरह से मार्च के दूसरे सप्ताह तक इंटरनेशनल कामर्शियल फ्लाइट चलती रही। शशांक भी मानते हैं कि भारत सही समय पर कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर सही आकलन नहीं कर पाया।
हम चीन और उसके प्रांत वुहान तथा नेपाल समेत आस-पास के देशों को छोड़कर बेखबर रहे। ईरान, इटली, ब्रिटेन, यूरोप के लोग देश में आते-जाते रहे। इसी तरह से मार्च के दूसरे सप्ताह तक इंटरनेशनल कामर्शियल फ्लाइट चलती रही। शशांक भी मानते हैं कि भारत सही समय पर कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर सही आकलन नहीं कर पाया।
प्रो. डा. राम भी इसमें लापरवाही को साफ मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ गड़बड़ी नहीं हुई तो अचानक अब मरीज इतना तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं। निश्चित रूप से केन्द्र सरकार और हमारी स्वास्थ्य एजेंसियां खतरे का सही आकलन करने में चूक गई।
पूर्व विदेश सचिव शशांक इस सवाल पर कहते हैं कि चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना संक्रमण से जुड़ी तमाम जानकारी छिपाई। इसे काफी देर बाद उजागर किया। इसलिए इसके चपेट में दुनिया आ गई। भारत भी आ गया। लेकिन यह शशांक के लिए भी काफी कड़वा था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने काफी पहले कोरोना को विश्व समुदाय के लिए महामारी घोषित कर दी। इसकी तुलना में भारत ने देर से ध्यान दिया।
पूर्व विदेश सचिव शशांक इस सवाल पर कहते हैं कि चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना संक्रमण से जुड़ी तमाम जानकारी छिपाई। इसे काफी देर बाद उजागर किया। इसलिए इसके चपेट में दुनिया आ गई। भारत भी आ गया। लेकिन यह शशांक के लिए भी काफी कड़वा था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने काफी पहले कोरोना को विश्व समुदाय के लिए महामारी घोषित कर दी। इसकी तुलना में भारत ने देर से ध्यान दिया।
हम तो चीन और अन्य की मदद कर रहे थे
डा. अश्विन चौबे कहते हैं कि भारत को जब सजग रहना चाहिए था, तब वह दूसरे देशों की मदद कर रहा था। अश्विन बताते हैं भारत सरकार ने चीन को कोरोना संक्रमण से उसके प्रभावित होने के बाद बड़े पैमाने पर चिकित्सा सामग्री उपलब्ध कराई है। अन्य देशों को भी चिकित्सा मदद दी गई होगी।
वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के सवाल को सही ठहराते हैं। राहुल गांधी ने दो दिन पहले आरोप लगाया है कि भारत कोरोना संक्रमण से लड़ रहा है और देश से मार्च के तीसरे सप्ताह तक मास्क, सैनिटाइजर समेत अन्य निर्यात किया गया।
डा. अश्विन चौबे का कहना है कि इस समय सही माने में भारत के पास कोरोना संक्रमण के जांच की प्रमाणिक किट नहीं है। भारत का नेशनल इंस्टीट्यूट पुणे जिस किट पर जांच कर रहा है, उसकी प्रमाणिकता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। डा. चौबे के अनुसार भारत दुनिया के अन्य देशों से जांच किट, सुरक्षा किट या कुछ भी आयात करना चाहे तो इस समय मुझे नहीं लगता कोई सहायता कर पाएगा।
वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के सवाल को सही ठहराते हैं। राहुल गांधी ने दो दिन पहले आरोप लगाया है कि भारत कोरोना संक्रमण से लड़ रहा है और देश से मार्च के तीसरे सप्ताह तक मास्क, सैनिटाइजर समेत अन्य निर्यात किया गया।
डा. अश्विन चौबे का कहना है कि इस समय सही माने में भारत के पास कोरोना संक्रमण के जांच की प्रमाणिक किट नहीं है। भारत का नेशनल इंस्टीट्यूट पुणे जिस किट पर जांच कर रहा है, उसकी प्रमाणिकता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। डा. चौबे के अनुसार भारत दुनिया के अन्य देशों से जांच किट, सुरक्षा किट या कुछ भी आयात करना चाहे तो इस समय मुझे नहीं लगता कोई सहायता कर पाएगा।
हम कैसे घिर गए कोरोना वायरस के संक्रमण चक्र में?
पूर्व विदेश सचिव शशांक का इस मामले में आकलन सभी लोगों को पसंद आ रहा है। शशांक का कहना है कि कोरोना वायरस का संक्रमण वुहान में फैला। चीन का वुहान प्रांत और चीन दुनिया के तमाम देशों सीधा जुड़ा है। उसके नागरिक रहते हैं, व्यापार हैं और संबंध है।
वहां से कोरोना दुनिया के देशों में फैलता चला गया। इसके सामानांतर हमारी तैयारी और सतर्कता केवल चीन, उसके प्रांत वुहान, नेपाल और आस-पड़ोस के देश पर अधिक रही। ताकि चीन से कोई संक्रमित भारत में न आने पाए। शशांक के अनुसार इस दौरान दुनिया के तमाम देशों से हमारे देश में लोग आते-जाते रहे।
विदेशों में रह रहे तमाम भारतीय भी आए। यह अपने गांव, घरों और क्षेत्रों में गए। जिनमें भी संक्रमण के अंश थे, उन्होंने दूसरों को संक्रमित कर दिया। अब केन्द्र सरकार और उसकी एजेंसियों को लग रहा है कि बड़ी चूक हो गई है।
वहां से कोरोना दुनिया के देशों में फैलता चला गया। इसके सामानांतर हमारी तैयारी और सतर्कता केवल चीन, उसके प्रांत वुहान, नेपाल और आस-पड़ोस के देश पर अधिक रही। ताकि चीन से कोई संक्रमित भारत में न आने पाए। शशांक के अनुसार इस दौरान दुनिया के तमाम देशों से हमारे देश में लोग आते-जाते रहे।
विदेशों में रह रहे तमाम भारतीय भी आए। यह अपने गांव, घरों और क्षेत्रों में गए। जिनमें भी संक्रमण के अंश थे, उन्होंने दूसरों को संक्रमित कर दिया। अब केन्द्र सरकार और उसकी एजेंसियों को लग रहा है कि बड़ी चूक हो गई है।
क्या होता तो बेहतर था?
पूर्व विदेश सचिव शशांक के अनुसार शीर्ष स्तर पर कोरोना संक्रमण की गंभीरता का सही माने में आकलन का आवश्यक था। इस मामले में हम दुनिया के तमाम देशों की तरह चूक गए जर्मनी, फिनलैंड, दक्षिण कोरिया की तरह सावधानी नहीं बरती। सिंगापुर का मॉडल भी नहीं अपनाया।
अंग्रेजों जैसी गलती करते रहे। शशांक का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय उड़ान से आने वाले लोगों की केवल थर्मल स्क्रीनिंग पर भरोसा करना कर लेना ही ठीक नहीं था। शीर्ष स्तर पर विदेश से आए सभी लोंगो की लगातार निगरानी के लिए कदम उठाए जाने चाहिए थे। हम चेते ही तब जब मार्च में जयपुर का मामला सामने आया। फरवरी के आखिरी सप्ताह से थोड़ा गंभीरता से लेना शुरू किया।
अंग्रेजों जैसी गलती करते रहे। शशांक का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय उड़ान से आने वाले लोगों की केवल थर्मल स्क्रीनिंग पर भरोसा करना कर लेना ही ठीक नहीं था। शीर्ष स्तर पर विदेश से आए सभी लोंगो की लगातार निगरानी के लिए कदम उठाए जाने चाहिए थे। हम चेते ही तब जब मार्च में जयपुर का मामला सामने आया। फरवरी के आखिरी सप्ताह से थोड़ा गंभीरता से लेना शुरू किया।
दूसरा, जो भी भारतीय नागरिक विदेश में और खासकर यूरोप या अन्य देशों में रह रहे हैं, उनके वीजा की अवधि समाप्त हो रही है या कोरोना संक्रमण के भय से भारत आना चाह रहे हैं, उन्हें लेकर सुरक्षित व्यवहारिक कदम उठा सकते थे।
शशांक के अनुसार जो जहां है, उसे वहां की सरकार को सुरक्षा देनी होगी। यह प्रोटोकॉल है। हमारी सरकार यह कर सकती थी कि जिनके वीजा की अवधि समाप्त हो रही है, उनके वीजा की अवधि बढ़ाने, उन्हें वहां की सरकार से मुफ्त इलाज देने का अनुरोध और स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च का दूतावास, उच्चायोगों के माध्यम से भुगतान कराने का अनुरोध कर सकती थी। शशांक का कहना है कि यह प्रयोग ज्यादा सुरक्षित हो सकता था।
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