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सबके सहयोग से राममंदिर का निर्माण: मकर संक्रांति से प्रारंभ होकर माघ पूर्णिमा तक निधि समर्पण अभियान 

भगवान राम हमारे प्रेरणापुंज हैं। अयोध्या में उनके जन्मस्थल पर बनने वाले मंदिर निर्माण के लिए देश भर के चार लाख गांवों के ग्यारह करोड परिवारों तक पहुंचकर 15 जनवरी से 27 फरवरी 2021 के बीच 1000 रुपए, 100 रुपए एवं 10 रुपए की सहयोग राशि जुटाने की शुरूआत की जा रही है। देश भर में यह पुनीत कार्य एक विशेष संकल्प अभियान के रूप में परिलक्षित होगा। 

सदियों की प्रतीक्षा समाप्त हई| एक अत्यंत लंबे संघर्ष को विराम मिला और समग्र राष्ट्र की सामूहिक भावनाओं के प्रतीक राममंदिर का निर्माण कार्य अंततः अब गतिमान हो गया है। वर्षों से देश के करोड़ों लोग ललायित थे कि कब वह पल आएगा, जब राम जन्मभूमि स्थल पर जब राममंदिर बनेगा। हम सभी अत्यंत सौभाग्यशाली हैं कि हमारे समय में बरसों से टाट और टेंट के नीचे बिराजमान हमारे रामलला के लिए हमारे जीवनकाल में इस मंदिर का निर्माण हो रहा है। यह हम सभी के भीतर बिराजमान भगवान राम की अद्भुत शक्ति का प्रताप ही है कि हमारा अस्तित्व मिटाने के प्रयास हुए और हमारे पूजा स्थल ध्वस्त कर दिए गए, फिर भी हमारे मन में बसे राम की शक्ति ने हमें फिर से उनके मंदिर के निर्माण का शक्ति प्रदान की और श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के द्वारा इसका निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। यह हम सबका सौभाग्य है कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा शुरू किए गए भगवान राम के इस मंदिर निर्माण के भूमि पूजन को हम सबने देखा एवं अब इसका निर्माण कार्य भी गतिमान होने के साथ ही संकल्प है कि सभी के सहयोग, समर्थन व संबल से इसे शीघ्रातिशीघ्र पूरा किया जाए। 

लगभग पांच सदियों तक राम मंदिर के लिए आंदोलन चलता रहा। पांच सदियों तक चले इस आंदोलन में करोड़ों रामभक्तों का समर्पण था, संघर्ष था, तपस्या भी थी, तो संकल्प भी था। संकल्प अंततः सिद्ध हुआ और 9 नवंबर 2019 के दिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस स्थल पर भगवान श्रीराम के जन्म की सत्यता को स्वीकार करते हुए रामभक्तों के समर्थन में निर्णय दिया। उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार ही केंद्र सरकार ने श्री रामजन्म भूमि तीर्थक्षेत्र न्यास का गठन किया एवं उसी के अनुरूप मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई है। देश के लाखों-करोड़ों रामभक्तों के त्याग, बलिदान और संघर्ष से यह स्वप्न साकार होना शुरू हो गया है। पिछले साल अर्थात 5 अगस्त 2020 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री राम जन्मभूमि स्थल पर राममंदिर का भूमिपूजन एवं शिलापूजन करके जब निर्माण कार्य प्रारंभ किय़ा तो देश ने ही नहीं दुनिया भर के लोगों ने देखा कि यह हम सबके एक लंबे संघर्ष का प्रतिफल है, जो अपने काल में ही पुनीत स्वरूप में साकार होने जा रहा है। 

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का दृढ़ संकल्प है कि जन-जन की भावनाओं के प्रतीक इस मंदिर को समस्त रामभक्तों के प्रतिबिंब के रूप में निर्मित किया जाए इसीलिए इसे विश्व के एक सर्वश्रेष्ठ मानक मंदिर के रूप में उभारा जा रहा है। कुल 161 फीट उंचे इस मंदिर में कुल पांच शिखर एवं तीन तल होंगे। 360 फीट लंबे एवं 235 चौड़े अर्थात 84 हजार 600 वर्गफीट क्षेत्र के इस मंदिर में 160 स्तंभ लगेंगे। कुल 2.7 एकड भूमि पर बन रहे राम जन्मभूमि मंदिर का संपूर्ण निर्माण केवल पत्थर से ही होगा। इस मंदिर में सिमेंट एवं लोहे के उपयोग का कोई प्रावधान ही नहीं है। इस मंदिर की संपूर्ण परियाजना के अनुसार मंदिर परकोटे के बाहर के क्षेत्र का भी विकास किया जाना है, जिसके तहत लगभग 198 एकड भूमि पर अत्याधुनिक सर्वसुविधाओं से संपन्न विभिन्न निर्माण होंगे, जिनमें संग्रहालय, यज्ञशाला, अनुसंधान केंद्र, प्रदर्शनी अतिथि भवन, सत्संग भवन आदि का समावेश है। निर्माण विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार कुल तीन से साढे तीन वर्ष की अवधि में इस पावन मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण होगा। 

चाहे कितना भी विशाल बनाना हो, मंदिर तो हमारे देश में कोई एक व्यक्ति भी अपने धन से बना सकता है, कोई एक समाज भी उसे अपने सहयोग से निर्मित करा सकता है और कोई एक वर्ग भी उसे अपने समर्थन से बनवा सकता है। देश और संसार में व्यक्ति, समाज व वर्ग द्वारा निर्मित ऐसे बने हुए भी हैं किंतु उनमें समस्त संसार की भावनाओं का प्रतिबिंब परिलक्षित नहीं होता। यह प्रतिबिंब तभी परिलक्षित होता है, जब वह सबके सहयोग से बने इसीलिए इस महान कार्य में सभी की सहभागिता के लिए अर्थ संकलन का अभियान शुरू किया जा रहा है, जो मकर संक्रांति से प्रारंभ होकर माघ पूर्णिमा तक चलेगा। मकर संक्रांति अर्थात 15 जनवरी से 27 फरवरी 2021 तक चलने वाले इस 'निधि समर्पण अभियान' में कश्मीर से कन्याकुमारी तथा सोमनाथ से मेघालय तक देश के चार लाख गांवों के ग्यारह करोड परिवारों तक पहुंचकर 1000, 100 एवं 10 रुपए की सहयोग राशि जुटाने की योजना है। देश के हर क्षेत्र, भाषा, प्रदेश के जाति, संप्रदाय, मत, पंथ, समुदाय आदि के लोगों से सहयोग राशि प्राप्त करके राममंदिर के निर्माण की योजना है। 

धर्मस्थल हमारी आस्था के केंद्र होते हैं, हमारे अस्तित्व के सूचक होते हैं और हमारी भावनाओं का प्रतिबिंब होते हैं। वे वस्तुस्थिति में निर्मित तो बाद में होते हैं किंतु पहले हमारी भावनाओं में आकार लेते हैं। वे भावनाएं न केवल हमें बल्कि हमारी पीढ़ियों को भी सदा-सदा उनसे जोड़े रखती हैं। इसी विश्वास के अनुरूप समस्त राष्ट्र के ही नहीं संपूर्ण विश्व के जिन-जिन लोगों के मन में भगवान श्रीराम के प्रति आस्था है, उन सभी से यही सहयोग, समर्थन व संबल जुटाने के लिए श्रीराम मंदिर निधि समर्पण अभियान शुरू किया जा रहा है, जिससे कि इस पावन मंदिर में हर व्यक्ति का सहयोग व सहभाग प्रतिबिंबित हो। अयोध्या में भगवान श्रीराम के केवल एक मंदिर का निर्माण नहीं बल्कि अजेय राष्ट्रमंदिर के निर्माण का पुनीत कार्य है। 

यह मंदिर न केवल हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक और हमारी शाश्वत आस्था का केंद्र होगा बल्कि हमारी राष्ट्रीय भावना का प्रतीक भी होगा और इस निधि समर्पण अभियान से यह मंदिर करोड़ों-करोड़ लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति का प्रतीक के रूप में भी प्रतिबिंबित होगा क्योंकि हजारों हुतात्माओं ने इस धर्मकार्य के लिए बलिदान दिया है तो करोड़ों रामभक्त उनके महान त्याग का श्रद्धा स्मरण करके उनके संकल्प की सत्यता को प्रमाणित करने के लिए इसमें अर्थदान के पवित्र कर्तव्य का निर्वहन कर रहे है। निधि समर्पण अभियान के पवित्र यज्ञ में अर्थदान की आहुति से अयोध्या में भगवान राम के इस मंदिर में आपके त्याग व सहयोग का प्रतिबिंब भी पर्लक्षित होगा। भगवान राम हमारे जीवन के हर पहलू के प्रेरणास्रोत हैं, ऐसी कोई भावना नहीं है जिसमें प्रभु राम का प्रतिबिंब न झलकता हो। यही पावन प्रतिबिंब हम सबके मन के साथ अयोध्या के राममंदिर में भी परिलक्षित होगा, जिसे समस्त विश्व सराहेगा। 

(लेखक श्री शंकर गायकर विश्व हिंदु परिषद के प्रतिनिधि एवं श्रीराम मंदिर निधि समर्पण समिति के महाराष्ट्र के सचिव हैं)

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