पाली: मारवाड़ क्षेत्र बाजरा उत्पादन के लिए विख्यात है लेकिन अब मारवाड़ की धरा पर ताइवान का ड्रैगन फ्रूट पैदा हो रहा है। यह संभव हुआ है जैतारण तहसील के लाटौती गांव के इंजीनियर किसान हेमेन्द्रसिंह उदावत की पारखी और दूरगामी योजना के कारण| पिता गंगासिंह के सपने को पूरा करने के लिए हेमेंद्रसिंह ने अपनी पढ़ाई छोड़कर परंपरागत खेती के साथ-साथ अच्छी आय प्राप्त करने के लिए पहली बार ड्रेगन फ्रूट की खेती की। कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग कर रहे हेमेंद्र ने इसके लिए इंटरनेट के माध्यम से ड्रेगन की खेती की जानकारी प्राप्त कर वियतनाम देश से इसके पौधे मंगवाए। हेमेन्द्रसिंह उदावत ने पूरे प्रदेश के किसानों के लिए एक मिसाल पेश की है।
किसान हेमेन्द्रसिंह बताते है कि 20 बीघा जमीन में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रखी है। इस पर करीब 32 लाख रुपए का खर्चा आया है। वर्ष 2018 में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की थी। इस बार करीब 4 हजार किलो ड्रैगन फ्रूट की पैदावार हुई है। एक किलो ड्रैगन फ्रूट करीब 250 से 300 रुपए में बिक्री हुई। यह ड्रैगन फ्रूट अजमेर में बेचा गया। पहला साल होने से पैदावार कम है। वैसे 20 बीघा जमीन में करीब 30 हजार किलो की पैदावार होगी, जिससे करीब 50 लाख रुपए की आय हो सकेगी। ड्रैगन फ्रूट की खेती छोटा और सामान्य किसान भी कर सकता है। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि ड्रेगन फूट की खेती हर मौसम में की जा सकती है और इसमें अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। जिले का वातारण इसके अनुकूल होने के कारण यहां के किसान इसकी खेती कर सकते हैं। साथ ही ड्रैगन फ्रूट से व्यक्ति को कैंसर व डेंगू जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। यह फल मधुमेह रोगियों के लिए भी अच्छा हैं।
ड्रैगन फल उत्पादन व जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर किसान हेमेन्द्रसिंह पुत्र गंगासिंह उदावत को 14 सितम्बर 2020 को कृषि विश्वविद्यालय की ओर से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया। वे अब दूसरों को भी इस खेती की सीख दे रहे हैं।
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